अहमदाबाद : पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल और पांच अन्य के खिलाफ आज देशद्रोह का एक और मामला दर्ज किया गया. अहमदाबाद की अपराध शाखा की ओर से यह मुकदमा दर्ज किया गया. अपराध शाखा ने हार्दिक के दो करीबी साथियों को भी गिरफ्तार किया है. इस बीच, गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि पुलिस के खिलाफ एक बयान आखिर देशद्रोह कैसे हो सकता है.
पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) के दिनेश पटेल और चिराग पटेल को आज शाम गुजरात उच्च न्यायालय परिसर के बाहर से उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वे न्यायालय से बाहर निकल रहे थे. सूरत पुलिस पहले ही हार्दिक के खिलाफ देशद्रोह का गंभीर आरोप लगाकर एक मामला दर्ज कर चुकी है. हार्दिक ने पुलिस की इस कार्रवाई को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है.
हार्दिक अभी सूरत पुलिस की हिरासत में है. अपराध शाखा में सहायक पुलिस आयुक्त के एन पटेल ने कहा कि ट्रांसफर वारंट प्राप्त कर मौजूदा मामले में भी हार्दिक को गिरफ्तार किया जा सकता है. सूरत पुलिस की ओर से दर्ज मामले में हार्दिक पर आरोप है कि उसने एक पटेल युवक को इस बात के लिए उकसाया कि वह आत्महत्या की बजाय पुलिसकर्मियों की हत्या करे.
आज अपराध शाखा की ओर से आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 121 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने), 124 (देशद्रोह – सरकार के खिलाफ नफरत, अवमानना या विद्रोह लाना), 153-ए (विभिन्न समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करना) और 153-बी (राष्ट्रीय अखंडता के खिलाफ काम करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
सहायक पुलिस आयुक्त के एन पटेल दूसरे मामले में शिकायतकर्ता हैं. के एन पटेल ने कहा, ‘‘हम उन पर पिछले तीन महीने से नजर रख रहे थे. 25 अगस्त को जीएमडीसी ग्राउंड पर पटेलों की महारैली के बाद हमने पाया कि आरोपियों ने लोगों को हिंसा करने के लिए भडकाया. उन्होंने सरकार के खिलाफ लोगों को भडकाने के लिए फोन कॉल किए और मीडिया का इस्तेमाल किया.”
पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘हमारी निगरानी के मुताबिक उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों में लोगों से कहा था कि वे पुलिस चौकियों और सार्वजनिक परिवहन की बसों को आग के हवाले कर दें, विधायकों के मकानों पर पथरावस करें, हमले करें और यहां तक कि विधानसभा मे बम हमला करें. उन्होंने सरकार गिराने की भी साजिश रची थी.” प्राथमिकी में ‘पास’ के छह पदाधिकारियों को नामजद किया गया है जनमें हार्दिक पटेल, दिनेश पटेल, चिराग पटेल और अल्पेश पटेल शामिल हैं.
इससे पहले, हार्दिक के पिता भरत पटेल की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने सरकारी वकील मितेश अमीन से यह स्पष्ट करने को कहा कि आखिर इस मामले में देशद्रोह का आरोप कैसे लगाया गया. न्यायाधीश ने यह भी पूछा कि क्या पुलिसकर्मियों की हत्या करने की हार्दिक की सलाह से आईपीसी की धारा 153-ए के तहत मामला बनता है. अदालत इस मामले पर अब 23 अक्तूबर को सुनवाई करेगी. हार्दिक के पिता ने अपनी अर्जी के जरिए अपने बेटे पर लगाए गए देशद्रोह के आरोप को रद्द करने की गुहार लगाई है.