श्रीलंका भारत का मित्र नहीं
चेन्नई : द्रमुक ने आज मांग की कि भारत को श्रीलंका के साथ एक ‘‘मित्र देश’ की तरह व्यवहार करना बंद कर देना चाहिए और लिट्टे के साथ संघर्ष के दौरान हुए युद्ध अपराध के आरोपों की एक विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए कदम उठाने चाहिए. द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश मैक्सवेल परानागमा […]
चेन्नई : द्रमुक ने आज मांग की कि भारत को श्रीलंका के साथ एक ‘‘मित्र देश’ की तरह व्यवहार करना बंद कर देना चाहिए और लिट्टे के साथ संघर्ष के दौरान हुए युद्ध अपराध के आरोपों की एक विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए कदम उठाने चाहिए. द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश मैक्सवेल परानागमा की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि परानागमा पैनल ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की हालिया रिपोर्ट का समर्थन करते हुए सिफारिश की है कि युद्ध अपराधों के मामले में जांच की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने में अंतरराष्ट्रीय न्यायाधीशों की भूमिका होनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘ भारत को श्रीलंका के साथ अब एक मित्र देश की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए और श्रीलंकाई सेना द्वारा किए गए युद्ध अपराधों (के अलावा) मानवाधिकार उल्लंघनों और नरसंहार की विश्वसनीय एवं स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए प्रयास करने चाहिए।’ करुणानिधि ने यहां एक बयान में कहा कि यह जांच श्रीलंका से बाहर एक ‘‘साझी जगह’ पर होनी चाहिए क्योंकि इसी से ‘‘असली दोषियों’ का पता लगाया जाना सुनिश्चित होगा और उनके खिलाफ कदम उठाया जा सकेगा.
द्रमुक अध्यक्ष ने परानागमा का हवाला देते हुए कहा कि चैनल 4 की डाक्यूमेंटरी ‘नो फायर जोन’ में दिखाया गया है कि श्रीलंकाई सैनिकों ने तमिल कैदियों को मारा, यह साबित करने के लिए साक्ष्य हैं कि यह सही बात है और यहां तक कि आत्मसमर्पण करने वाले लिट्टे के नेताओं की भी कथित हत्या की गई. सेवानिवृत्त न्यायाशीध मैक्सवेल परानागमा ने अगस्त 2015 को अपनी रिपोर्ट में कहा था कि विश्वसनीय आरोप लगाए गए हैं जो ये दिखा सकते हैं कि सशस्त्र बलों के कुछ सदस्यों ने युद्ध के अंतिम चरण में ऐसे कृत्यों को अंजाम दिया जो युद्ध अपराध के बराबर हैं.