साहित्य अकादमी की बैठक से पहले साहित्यकारों का शांति मार्च
नयी दिल्ली : कई लेखकों के सम्मान लौटाने के बाद साहित्य अकादमी ने अपनी आपात बैठक बुलायी है. लेकिन साहित्यकारों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. एमएम कलबुर्गी और दादरी मामले का बैनर पोस्टर हाथों में लिए सैकड़ो लेखक और साहित्यकार आज दिल्ली में मौन जुलूस निकाल रहे हैं. जुलूस सफदर हाशमी रोड से शुरू […]
नयी दिल्ली : कई लेखकों के सम्मान लौटाने के बाद साहित्य अकादमी ने अपनी आपात बैठक बुलायी है. लेकिन साहित्यकारों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. एमएम कलबुर्गी और दादरी मामले का बैनर पोस्टर हाथों में लिए सैकड़ो लेखक और साहित्यकार आज दिल्ली में मौन जुलूस निकाल रहे हैं. जुलूस सफदर हाशमी रोड से शुरू होकर साहित्य अकादमी रवींद्र भवन तक गया, जिसमें बड़ी संख्या में लेखकों और संस्कृतकर्मियों के हिस्सा लिया. सभी के हाथों में बैनर पोस्टर थे जो देश में संप्रदाय के नाम पर हिंसा के विरोध में थे. एक न्यूज चैनल में लाइव प्रोग्राम के दौरान साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राणा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिलने के लिए बुलाया है.
राणा ने जानकारी देते हुए बताया है कि मौजूदा हालात पर बातचीत के लिए वे अगले हफ्ते प्रधानमंत्री से उनकी मुलाकात होगी. उन्होंने कहा कि वे अपने साथ कुछ और साहित्यकारों को भी मुलाकात के लिए आमंत्रित करेंगे. पीएमओ इसके लिए कहा गया है. इससे पहले मुनव्वर राणा समेत करीब 30 साहित्यकार एम.एम कलबुर्गी और दादरी कांड के विरोध में अपने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा चुके हैं. राणा ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहेंगे तो वे सम्मान वापस ले लेंगे. उनके इस बयान पर कई साहित्यकारों ने आपत्ति दर्ज करायी है. कुछ साहित्यकारों का कहना है कि उन्होंने एक बार सम्मान वापस कर दिया तो वे इसे वापस नहीं लेंगे. सरकार को चाहिए कि वह हिंसा पर कड़ी कार्रवाई करे और दादरी जैसी घटनाएं दुबारा ना हों.
हालांकि साहित्यकारों का एक वर्ग सम्मान लौटाने को पूरी तरह गलत बता रहा है और इसे नरेंद्र मोदी के खिलाफ सोची समझी साजिश बता रहे हैं. कन्नड के मशहूर लेखक एम एम कलबुर्गी की हत्या और बढ़ती साम्प्रदायिक घटनाओं के विरोध में अब तक 50 से अधिक लेखकों द्वारा पुरस्कार लौटाए जाने को देखते हुए शुक्रवार को साहित्य अकादमी की आपात बैठक बुलाई गई है.