मदुरै : मद्रास उच्च न्यायालय की एक पीठ ने केंद्र सरकार को, बच्चों का यौन उत्पीडन करने वालों का बंध्याकरण करने का सुझाव दिया है क्योंकि वर्तमान कानून ऐसे अपराधियों से निपटने में ‘नाकाफी’ है. न्यायमूर्ति एन किरुबाकरण ने कडे शब्दों में दिये गये एक फैसले में कहा ‘वर्तमान कानून ऐसे अपराधियों से निपटने में ‘नाकाफी’ है और न्यायपालिका अपने हाथ बांधे तथा मूक दर्शक बने नहीं रह सकती, खास कर तब जब पूरे भारत में बच्चों के साथ सामूहिक बलात्कार होने की खबरें आ रही हैं.’ न्यायाधीश ने हाल ही में एक ब्रिटिश नागरिक द्वारा दाखिल एक याचिका को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी जिसने अपने खिलाफ निचली अदालत में चल रही यौन उत्पीडन मामले में कार्रवाई रद्द करने की मांग की थी.
उन्होंने कहा ‘बंध्याकरण का सुझाव क्रूर लग सकता है लेकिन क्रूर अपराधियों के लिए क्रूर सजा की जरुरत है. सजा का विचार अपराधियों को अपराध करने से रोकने का होना चाहिए.’ न्यायाधीश ने कहा ‘मानवाधिकार उल्लंघनों की आड में कुछ कार्यकर्ता पहले पीडितों के प्रति सहानुभूति जताते हैं और बाद में अपराधी का भी समर्थन करते हैं. वे गलत जगह पर सहानुभूति दर्शाते हैं. मानवाधिकार, पीडि़त के लिए होते हैं.’