सीमा पर युद्ध जैसे हालात, जवान और किसान जंग के लिए तैयार
* पाकिस्तान ने 100 से ज्यादा चौकियों पर की फायरिंग जम्मू : जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले के हीरानगर से अखनूर सेक्टर तक फैली 192 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा 42 साल बाद फिर धधक उठी है. पांच दिनों में पाकिस्तानी फौज ने भारत की सौ से अधिक अग्रिम चौकियों पर ताबड़तोड़ हमले किये हैं. रिहायशी […]
* पाकिस्तान ने 100 से ज्यादा चौकियों पर की फायरिंग
जम्मू : जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले के हीरानगर से अखनूर सेक्टर तक फैली 192 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा 42 साल बाद फिर धधक उठी है. पांच दिनों में पाकिस्तानी फौज ने भारत की सौ से अधिक अग्रिम चौकियों पर ताबड़तोड़ हमले किये हैं. रिहायशी बस्तियों पर मोर्टार से गोले और राकेट दागे जा रहे हैं.
इसमें 50 से अधिक ग्रामीण और जवान जख्मी हो चुके हैं. 1971 के युद्ध के बाद पहली बार ऐसी अंधाधुंध गोलाबारी हो रही है. उस पार आतंकी सरगना हाफिज सईद लगातार सीमांत इलाकों के दौरे कर रहा है. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे भी सीमा पर आकर इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि दो सौ से अधिक आतंकी घुसपैठ के लिए कैंप किये बैठे हैं. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके तमाम वजीर सीमांत गांवों में घूम-घूम कर दहशतजदा लोगों को हिम्मत बंधा रहे हैं.
* सरकार की नीति से नाराज जवान
इस बीच हीरानगर, सांबा, आरएसपुरा, कानाचक्क, अखनूर सेक्टर, रामगढ़ और अरनिया सब सेक्टर के सीमांत गांवों के लोगों में गुस्सा है. यहां तैनात जवानों का भी यही हाल है. दोनों ही सरकार की नीति से नाराज हैं. रिटायर्ड ब्रिगेडियर एसएस सैनी कहते हैं कि हमारे जवानों और किसानों को पाकिस्तान से नहीं अपनी सरकार से डर लगता है. हम उनके एक्शन पर रिएक्शन करके चुप बैठ जाते हैं. वे फिर एक्शन करते हैं, हम फिर रिएक्शन करते हैं जबकि इस समय पहल अपने हाथ में लेने की जरूरत है.
* फिर ऐसी हिमाकत नहीं करेगा पाक
सीमा पर तैनात जवान भी बातचीत के दौरान कहते हैं कि एक बार हमें छूट मिल जाये तो पाकिस्तान को कुछ ही घंटों में ऐसा सबक सिखा सकते हैं कि वह आनेवाले कई सालों तक फिर ऐसी हिमाकत करने की जुर्रत न करें. उनका कहना हैं कि हमें तो बड़े हथियारों के इस्तेमाल करने की भी इजाजत नहीं मिलती. सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीणों की भी यही इच्छा है कि अब तो एक बार आरपार हो ही जाये.
* हालात पूरी तरह युद्ध जैसे
सीमा क्षेत्र में रहनेवालों के मुताबिक हालात पूरी तरह युद्ध जैसे हैं. बस जंग का एलान भर बाकी है. पाकिस्तान सुनियोजित रणनीति के तहत अपने सीमांत गांवों को खाली करा कर वहां सेना पहुंचा रहा है. इस पार जान की हिफाजत के लिए पलायन करना मजबूरी है. इन सबके बीच रामगढ़, पहाड़पुर, विधिपुर, अब्दुलियां, गड़खाल सहित तमाम गांवों में धान की पकी फसल मुरझाने लगी है और किसान उसे काट नहीं पा रहे हैं.