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बोले अनुपम, ”अवार्ड वापसी गैंग” की मंशा पर सवाल

मुंबई : जानेमाने फिल्मकारों दिबाकर बनर्जी, आनंद पटवर्धन तथा आठ अन्य लोगों ने एफटीआईआई के आंदोलनकारी छात्रों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए तथा देश में बढती असहिष्णुता के विरोध में अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दिए. पुरस्‍कार लौटाने वाले फिलमकारों पर हमला करते हुए ट्विट किया कि ‘जो लोग नहीं चाहते थे कि मोदी पीएम […]

मुंबई : जानेमाने फिल्मकारों दिबाकर बनर्जी, आनंद पटवर्धन तथा आठ अन्य लोगों ने एफटीआईआई के आंदोलनकारी छात्रों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए तथा देश में बढती असहिष्णुता के विरोध में अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दिए. पुरस्‍कार लौटाने वाले फिलमकारों पर हमला करते हुए ट्विट किया कि ‘जो लोग नहीं चाहते थे कि मोदी पीएम बनें वो अब अवार्ड वापसी गैंग का हिस्सा बन गये हैं. जय हो.’ अनुपम खेर ने आगे लिखा कि ‘मुझे बुरा नहीं लग रहा है. जिन्‍होंने मुझे अवार्ड दिया है मैं उनका सम्‍मान करता हूं. मेरा विरोध किसी छुपे एजेंडे की बुनियाद पर नहीं हो सकता.’

अनुपम ने आगे लिखा कि ‘यह अवार्ड वापसी गैंग सरकार को अपमानित नहीं कर रही है, बल्कि जूरी, जूरी के अध्‍यक्ष और उन लोगों को अपमानित कर रही है जो उनकी फिल्‍में देखते हैं.’

उधर अवार्ड वापस करते हुए बनर्जी और अन्य फिल्मकारों ने कहा कि उन्होंने छात्रों के मुद्दों के निवारण तथा बहस के खिलाफ असहिष्णुता के माहौल को दूर करने में सरकार की ओर से दिखायी गयी उदासीनता के मद्देनजर ये कदम उठाये हैं. बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं गुस्से, आक्रोश में यहां नहीं आया हूं. ये भावनाएं मेरे भीतर लंबे समय से हैं. मैं यहां आपका ध्यान खींचने के लिए हूं. ‘खोसला का घोसला’ के लिए मिला अपना पहला राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाना आसान नहीं है. यह मेरी पहली फिल्म थी और बहुत सारे लोगों के लिए मेरी सबसे पसंदीदा फिल्म थी.’ गौरतलब है कि खोसला का घोसला फिल्‍म में अनुपम खेर भी एक मुख्‍य किरदार में थे.

बनर्जी ने कहा, ‘अगर बहस, सवाल पूछे जाने को लेकर असहिष्णुता तथा पढाई के माहौल को बेहतर बनाने की चाहत रखने वाले छात्र समूह को लेकर असहिष्णुता होगी, तो फिर यह असहिष्णुता उदासीनता में प्रकट होती है. इसी को लेकर हम विरोध जता रहे हैं.’ जानेमाने डाक्यूमेंटरी निर्माता पटवर्धन ने कहा कि सरकार ने ‘अति दक्षिणपंथी धडों’ को प्रोत्साहित किया है. उन्होंने कहा, ‘मैंने इस तरह से एक समय पर बहुत सारी घटनाएं होती नहीं देखी हैं. क्या होने वाला है, यह उसकी शुरुआत है और मुझे लगता है कि पूरे देश में लोग अलग अलग तरीकों से प्रतिक्रिया दे रहे हैं.’

एफटीआईआई के छात्रों ने आज अपनी 139 दिनों पुरानी हडताल खत्म कर दी, हालांकि वे संस्थान के अध्यक्ष पद पर गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का विरोध एवं उनको हटाने की मांग जारी रखेंगे. फिल्मकारों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी भेजा है. पत्र में कहा गया है, ‘हम वह सम्मान लौटाने को विवश हो रहे हैं जिसे हमें सरकार ने प्रदान किया. हत्याओं में भूमिका निभाने वाली ताकतों से पूछताछ किये बिना मौतों पर संवेदना प्रकट करना, हमारे देश को नुकसान पहुंचा रही बुरी ताकतों को मौन स्वीकार्यता है.’

उन्होंने कहा, ‘फिल्मकार के तौर पर हम एफटीआईआई के छात्रों के साथ खडे हैं तथा हम प्रदर्शन का पूरा बोझ उन्हें अपने कंधे पर नहीं लेने देने को प्रतिबद्ध हैं.’ एफटीआईआई के अध्‍यक्ष गजेंद्र चौहान ने कहा कि अवॉर्ड लौटाने का फैसला सही नहीं है. छात्रों को अपने आंदोलन और विरोध के बारे में फिर से सोचना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘छात्र आकर मुझसे मिलें. बातचीत के जरिए यह विवाद सुलझाया जा सकता है.’

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