नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और संयुक्त राष्ट्र सुधार जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को गहरा बनाने के साथ ही अफ्रीकी देशों को अगले पांच साल में रियायती दर पर 10 अरब डालर के ऋण और 60 करोड रुपये की अनुदान सहायता देने की आज पेशकश की. उन्होंने यहां तीसरे भारत-अफ्रीका फोरम शिखर बैठक (आईएएफएस) के उद्घाटन सत्र के अपने संबोधन में इसे ‘एक छत के नीचे एक तिहाई मानवता के सपनों की बैठक’ बताया. उन्होंने कहा कि सवा अरब भारतीयों और सवा अरब अफ्रीकियों के दिलों की धडकन एक हो गयी है. यह साझेदारी सामरिक चिंताओं और आर्थिक लाभ से उपर है. प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि एक समय था जब भारत उतना अच्छा नहीं कर पाया जितना वे चाहते थे और प्रतिबद्धताओं को उतनी तेजी से पूरा नहीं किया जितनी तेजी से पूरी होनी चाहिए थीं.
उन्होंने कहा कि विश्व के एक बडे पार्टनर, एकीकृत और खुशहाल अफ्रीका के सपने को साकार करने के लिए भारत अपने समर्थन के स्तर को बढाएगा. उन्होंने कहा, अपनी साझेदारी को और मजबूती देने के लिए भारत अगले पांच साल में 10 अरब डालर के रियायती ऋण की पेशकश करेगा. यह हमारे मौजूदा ऋण कार्यक्रमों से अतिरिक्त होगा. अपनी घोषणा में प्रधानमंत्री ने कहा, हम 60 करोड अमेरिकी डालर की अनुदान सहायता की भी पेशकश करते हैं. इसमें 10 करोड डालर का भारत-अफ्रीका विकास कोष और एक करोड डालर का भारत-अफ्रीका स्वास्थ्य कोष शामिल है. इसमें अगले पांच सालों में भारत में अफ्रीकी देशों के छात्रों के लिए 50 हजार छात्रवृत्तियां भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि भारत 2008 में पहली भारत-अफ्रीका शिखर बैठक में 7.4 अरब डालर के रियायती ऋण और 1.2 अरब डालर की अनुदान राशि की पहले ही प्रतिबद्धतता व्यक्त कर चुका है. उन्होंने कहा कि भारत पूरे अफ्रीका में 100 क्षमता निर्माण संस्थानों को बनाएगा और ढांचागत विकास, सार्वजनिक परिवहन, स्वच्छ ऊर्जा, सिंचाई, कृषि तथा विनिर्माण क्षमता को बढाने में सहयोग करेगा. इस सत्र में मोदी के भाषण के दौरान अफ्रीका के 41 शासनाध्यक्ष और राष्ट्राध्यक्ष मौजूद थे. इसके अलावा 54 अफ्रीकी देशों के सैंकडों वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे.
मोदी ने अफ्रीकी देशों के साथ आतंकवाद के खिलाफ, जलवायु परिवर्तन तथा संयुक्त राष्ट्र सुधार के क्षेत्रों में मजबूत सहयोग की वकालत की. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि विश्व राजनीतिक, आर्थिक, प्रौद्योगिक और सुरक्षा के क्षेत्रों में इतने तेज संक्रमण के दौर से गुजर रहा है जिसे हाल के इतिहास में नहीं देखा गया. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद, वैश्विक संस्थान उन परिस्थितियों को प्रतिलक्षित कर रहे हैं जिन्हें हम कबका पीछे छोड चुके हैं. वे हमारी आज की परिस्थितियों के अनुरुप नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि इन संस्थानों ने हमारी अच्छी सेवा की है लेकिन जब तक वे बदलती दुनिया के अनुरुप अपने को नहीं ढालते, वे अप्रासंगिक होने का खतरे का सामना करते रहेंगे. हम यह नहीं कह सकते कि इस अनिश्चित भविष्य में उनका स्थान क्या लेगा. मोदी ने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत-अफ्रीका की गहरी साझेदारी पर जोर दिया और अफ्रीकी देशों को सौर ऊर्जा समृद्ध देशों के साथ एक गठबंधन में शामिल होने का आहवान किया, जिसकी वह जलवायु पर पेरिस में होने जा रही आगामी वार्ता में घोषणा करने वाले हैं. विकसित देशों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि कुछ की अधिकता को बहुतों का बोझ नहीं बनाया जा सकता.
उन्होंने उम्मीद जतायी कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कन्वेंशन में एक व्यापक और ठोस नतीजा सामने आएगा. अफ्रीका और भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था को ‘उम्मीद के दो चमकदार बिंदु’ बताते हुए उन्होंने कहा कि एक दशक से भी कम समय में भारत-अफ्रीका व्यापार दोगुना से भी अधिक बढ कर 70 अरब डालर का हो गया है और भारत अफ्रीका में व्यापार निवेश का बडा स्रोत बन गया है. अफ्रीका के 34 देशों को भारतीय बाजार में डयूटी फ्री पहुंच का लाभ मिला हुआ है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी अंतरिक्ष परिसंपत्तियों और प्रौद्योगिकी को अफ्रीकी देशों के लिए उपलब्ध बनाएगा. उन्होंने कहा कि दिवंगत राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के उस सपने को साकार किया जाएगा जिसमें उन्होंने समग्र अफ्रीका को ई-नेटवर्क से जोडने की परिकल्पना की थी. इससे 48 अफ्रीकी देश आपस में और भारत के साथ जुडेंगे. मोदी ने कहा, आपने हमारी सफलता में खुशी महसूस की और हमारी उपलब्धियों पर गर्व किया. और आप हमारे लिए विश्व में खडे हुए. यह हमारी साझेदारी और मित्रता की मजबूती है.