नयी दिल्ली : राष्ट्रीय एकता की खातिर सरदार वल्लभ भाई पटेल के कार्यों का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि अगर भारत को आगे बढना है और विकास की नयी ऊंचाइयां हासिल करनी है तो इसके लिए एकता, शांति और सद्भाव पहली शर्त है. दादरी में पिछले दिनों एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या किये जाने, गौमांस विवाद और अन्य घटनाओं की पृष्ठभूमि में कथित तौर पर असहिष्णुता में वृद्धि को लेकर कलाकारों, लेखकों और वैज्ञानिकों द्वारा विरोध जाहिर किये जाने की पृष्ठभूमि में मोदी ने देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल की 140वीं जयंती पर अपने संबोधन में कहा ‘एकता हमारी सबसे बडी ताकत है. हमें एकता, शांति और सद्भाव के मंत्र के साथ आगे बढना होगा.’
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर वंशवाद की राजनीति पर प्रहार करते हुए कहा कि यह हमारी राजनीति का विष बन गयी है. उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने अपने परिवार के किसी भी सदस्य को राजनीति में आगे नहीं बढाया. सरदार पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जा रहा है और इस मौके पर प्रधानमंत्री ने ‘एकता के लिए दौड’ (रन फॉर यूनिटी) को झंडी दिखा कर रवाना किया. उन्होंने लोगों से पटेल का यह संदेश प्रचारित करने को कहा कि अपनी एकता की खातिर देश कुछ भी बलिदान दे सकता है.
प्रधानमंत्री ने कहा ‘अगर देश को आगे बढना है और विकास की नयी ऊंचाइयां हासिल करनी है तो पहली गारंटी यह है. हमारी भाषा कोई भी हो, हमारी सोच कोई भी हो और कश्मीर से कन्याकुमारी तथा अटक से कटक तक हमारी प्रेरणा कोई भी हो. अगर हमारा लक्ष्य भारत माता को दुनिया में नयी ऊंचाइयों तक ले जाना है तो इसके लिए पहली शर्त एकता, शांति और सद्भाव है.’ उन्होंने कहा ‘अगर 125 करोड भारतीय एकता, शांति और सद्भाव के मंत्र के साथ कंधे से कंधा मिला कर एक कदम बढाएं तो देश एक बार में 125 करोड कदम आगे बढ जाएगा.’
मोदी ने कहा ‘एकता के धागे में देश का बंधा होना हमारी ताकत है और एकता की खातिर कुछ भी बलिदान किया जा सकता है और यही सरदार साहब का संदेश है.’ उन्होंने कहा कि सरदार पटेल का जीवन देश की एकता के लिए समर्पित था. उन्होंने यह भी घोषणा की कि ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ योजना जल्द ही शुरू की जाएगी जिसके तहत कोई भी राज्य हर साल किसी दूसरे राज्य को चुन कर उसकी भाषा और संस्कृति को बढावा दे सकेगा. मोदी ने कहा ‘मैंने एक छोटी समिति बनायी है जो इसके तौर तरीकों पर काम कर रही है.’
अपने संबोधन की शुरुआत में मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी उनकी पुण्यतिथि पर याद किया. उन्होंने कहा कि आज ही के दिन उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया था जिसे भुलाया नहीं जा सकता. प्रधानमंत्री ने कहा कि महान लोगों के कार्यों का मूल्यांकन करना हमारा काम नहीं है बल्कि हमें उनके योगदान को याद करना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि आने वाली पीढियों के कल्याण के लिए उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि दार्शनिक एवं न्यायविद चाणक्य के बाद सरदार पटेल को देश की अखंडता की खातिर सतत काम करने का श्रेय दिया जा सकता है.
राजपथ पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे मोदी ने कहा कि कई लोग महिलाओं को आरक्षण देने का श्रेय ले सकते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि 1930 के दशक में जब सरदार पटेल अहमदाबाद नगर निगम के महापौर थे तब उन्होंने महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने के प्रयास के तहत उनके लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव किया था. इस अवसर पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह, शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू, दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग और राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मंच पर मौजूद थे.
पटेल के योगदान को याद करते हुए मोदी ने कहा कि जब अंग्रेज विभाजन का खेल खेल रहे थे तब आजाद भारत के पहले गृह मंत्री ने रियासतों का भारत संघ में विलय करवाकर राष्ट्रीय एकता की खातिर अथक परिश्रम किया था. मोदी ने कहा ‘उन्हें लौह पुरुष इसलिए नहीं कहा जाता था कि किसी ने उन्हें इसका सर्टिफिकेट दिया था. वह लौह पुरुष इसलिए कहलाते थे क्योंकि उन्होंने कडे फैसले किये थे.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल ने हमें ‘एक भारत’ देने के लिए काम किया था और अब इसे ‘श्रेष्ठ भारत’ में बदलने की जिम्मेदारी हमारी है.
उन्होंने कहा कि 1920 के दशक में अहमदाबाद के महापौर रहते हुए पटेल ने स्वच्छता के लिए अभियान चलाया था जो 222 दिन तक चला और इसकी तारीफ महात्मा गांधी ने की, जो खुद बेहद सफाई पसंद थे. मोदी ने लोगों को राष्ट्रीय एकता और देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शपथ भी दिलायी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्राचीन ग्रंथों में भी राष्ट्रीय एकता की अवधारणा मौजूद है. उन्होंने कहा कि भारत की सीमाएं बहुत पहले परिभाषित की गयी थीं लेकिन सरदार पटेल ने उन्हें निश्चित आकार देने के लिए काम किया.
सरदार पटेल को आधुनिक भारत का निर्माता बताते हुए सिंह ने कहा कि पटेल ने देश की एकता सुनिश्चित की जिससे देश को समृद्ध होने में मदद मिली. ‘अब हमें इसे बनाये रखने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए.’ नायडू ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि पटेल को भारतीय इतिहास में वह जगह नहीं मिली जिसके वह हकदार थे, ‘कारण चाहे जो भी रहे हों.’ उन्होंने कहा ‘अब हमें उनके एकता और अखंडता के दर्शन को बनाये रखने के लिए काम करना चाहिए.’