ISIS के साथ RSS की तुलना अनुचित : संघ

हैदराबाद: आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने आज कहा कि भारत किसी भी अतिवादी विचारधारा को खारिज कर देगा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट से करना उचित नहीं है.आरएसएस के तेलंगाना राज्य सचिव चंद्रशेखर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ अगर आप कहते हैं कि इस्लामिक स्टेट और आरएसएस की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 4, 2015 5:54 PM

हैदराबाद: आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने आज कहा कि भारत किसी भी अतिवादी विचारधारा को खारिज कर देगा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट से करना उचित नहीं है.आरएसएस के तेलंगाना राज्य सचिव चंद्रशेखर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ अगर आप कहते हैं कि इस्लामिक स्टेट और आरएसएस की मानसिकता एक समान है, तो इस लोकतांत्रिक देश में हमारा अस्तित्व नहीं रहता. भारत एक देश के रूप में ऐसी विचारधारा को खारिज कर देता जो अतिवादी है.’

उन्होंने कहा, ‘‘अतिवादी विचारधारा भारत में कभी नहीं रह सकती. नक्सलवाद भारत में नहीं टिक सका. यह मुख्यधारा की विचारधारा नहीं हो सकती.’ उन्होंने कहा कि आरएसएस वसुधैव कुटुंबकम और अनेकता में एकता जैसे भारतीय सिद्धांतों के आधार पर काम करता है.उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे संगठन :आईएस: से तुलना उचित नहीं होगी जो हजारों लोगों की जान ले रहा है.’ चंद्रशेखर हाल ही में रांची में संपन्न अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के बारे में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। रांची की बैठक में जनसंख्या नीति की समीक्षा किए जाने की मांग की गयी थी.उन्होंने आरोप लगाया कि देश में ‘‘असहिष्णुता’ के खिलाफ पुरस्कारों का लौटाया जाना ‘‘कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा सुनियोजित घटना है जो इस देश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘ वे लोग दुनिया को यह गलत संदेश देना चाहते हैं कि इस देश में कुछ चीज गलत हो रही है जो उनके लिए ठीक नहीं है. बुद्धिजीवियों के लिए यह उचित नहीं है कि ऐसे समय जब देश विकास कर रहा है, वे असिहष्णुता के नाम पर हमारी अंतरराष्ट्रीय स्थिति को कमतर करें.चंद्रशेखर ने कहा कि बुद्धिजीवियों के सामने कई रास्ते हैं जिनके जरिए वे अपनी नाराजगी को व्यक्त कर सकते हैं.उन्होंने कहा कि कथित असहिष्णुता की घटनाएं पिछले एक साल में अचानक नहीं हुयी हैं. उन्होंने कहा कि बुद्धिजीवी उस समय ऐसा क्यों नहीं करते जब आतंकवादी हमले करते हैं और विगत में जब सांप्रदायिक दंगे हुए.उन्होंने कहा कि उन्हें देश की छवि को प्रभावित करने वाला कार्य करने के बदले स्वस्थ बहस में भाग लेना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि एक या दो घटनाएं जो अभी हुयी हैं, उसे बढती असहिष्णुता के रुप में बढा चढा कर पेश किया जा रहा है.चंद्रशेखर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आरएसएस कानून के उल्लंघन के किसी भी मामले में दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का पक्षधर है.
उन्होंने कहा कि हिंसा की किसी भी घटना में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि दादरी की घटना और एम एम कलबुर्गी की हत्या के संबंध में किए जाने वाले सवाल क्रमश: उत्तर प्रदेश की सपा सरकार और कर्नाटक की सिद्धरमैया सरकार पर केंद्रित क्यों नहीं हैं.उन्होंने कहा, ‘‘पुरस्कार लौटाने वाले एक भी बुद्धिजीवी ने समाजवादी पार्टी या कर्नाटक सरकार की भूमिका पर सवाल नहीं किए हैं. यह दर्शाता है कि वे पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं.’ देश में खाने की आदतों को लेकर विवाद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आरएसएस महसूस करता है कि हर व्यक्ति को खाने की आदतों की आजादी है.
उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन यह आपत्तिजनक है कि जब कोई व्यक्ति किसी अन्य की भावना को अपमानित करने के लिए कहता है कि मैं कोई चीज खाउंगा.’ एक अन्य सवाल के जवाब में चंद्रशेखर ने कहा कि संघ अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का पक्षधर है लेकिन इस संबंध में संसद एक संकल्प पारित करे.उन्होंने कहा, ‘‘ हम आम लोगों की राय के जरिए ही :केंद्र पर: कोई दबाव बना सकते हैं. मैं समझता हूं कि भाजपा इसे :राम मंदिर का निर्माण: प्राथमिकता नहीं देती.’ भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा विवादित बयान दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आरएसएस ऐसी टिप्पणी के खिलाफ है जो सौहार्द्र को प्रभावित करती है

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