काम से ज्यादा भाग्य पर भरोसा,पहुंच रहे हैं नेता ज्योतिषियों के पास

रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी अब अपने कामों से ज्यादा भाग्य पर भरोसा कर रहे हैं. यही कारण है कि टिकट पाने और टिकट मिलने के बाद सही समय पर नामांकन के लिए उम्मीदवार पूजा पाठ और भविष्य वक्ताओं का सहारा ले रहे हैं.छत्तीसगढ़ में नवंबर महीने की 11 और 19 तारीख को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2013 5:47 PM

रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी अब अपने कामों से ज्यादा भाग्य पर भरोसा कर रहे हैं. यही कारण है कि टिकट पाने और टिकट मिलने के बाद सही समय पर नामांकन के लिए उम्मीदवार पूजा पाठ और भविष्य वक्ताओं का सहारा ले रहे हैं.छत्तीसगढ़ में नवंबर महीने की 11 और 19 तारीख को यहां के डेढ़ करोड़ से ज्यादा मतदाता राज्य में सरकार का भविष्य तय करेंगे. लेकिन इससे पहले अपने भविष्य को संवारने यहां के नेता तमाम तरह के जतन कर रहे हैं.

इस चुनाव में भाग्य आजमाने वाले उम्मीदवार टिकट पाने से लेकर नामांकन जमा करने और उसके बाद जीत पक्की करने के लिए कहीं पूजा पाठ का सहारा ले रहे हैं तो कहीं ज्योतिषियों से अपना ग्रह नक्षत्र दुरुस्त करवा रहे. कुछ उम्मीदवार तांत्रिकों का सहारा लेकर चुनाव की वैतरणी पार करने की कोशिश में है.राज्य के नामी ज्योतिष पंडित दत्तात्रेय होस्केरे बताते हैं कि उनके कार्यालय में राज्य के नेताओं का तांता लगा हुआ है. यहां खासकर सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता अपनी दावेदारी और जीत पक्की करवाने उनसे सलाह लेते हैं.होस्केरे कहते हैं कि यहां आने वाले ज्यादातर उम्मीदवार अपनी कुंडली में राजयोग के बारे में पूछते हैं तथा वह इस चुनाव में जीतने के लिए उपाय के बारे में सलाह लेते हैं. वहीं सभी उम्मीदवार टिकट मिलने की दशा में नामांकन का मुहुर्त भी निकलवा लेते हैं. होस्केरे के मुताबिक उनके पास अभी भी कई उम्मीदवारों की कुंडली है.

राजधानी रायपुर में प्राचीन देवी मंदिर के पुजारी और तांत्रिक अशोक यादव बताते हैं कि राज्य में चुनाव की घोषणा से पहले ही उनके पास आने वालों में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की संख्या बढ़ गई है. उनसे मिलने वाले नेता पहले टिकट की दावेदारी के लिए उचित समय और टोटके के बारे में सलाह लेते थे लेकिन अब वह पर्चा दाखिल करने के लिए शुभ समय को लेकर भी चिंतित रहते हैं. यादव कहते हैं कि कुछ उम्मीदवारों ने उनसे टिकट मिलने से लेकर चुनाव समाप्ति तक पूजा पाठ करने का अनुरोध किया है जिसे वह टाल नहीं सके हैं. राज्य के ज्योतिषियों के मुताबिक उन्होंने उम्मीदवारों को 31 अक्टूबर तथा धनतेरस एक नवंबर को नामांकन भरने की सलाह दी है. दोनों दिनों में नामांकन जमा करने वाले प्रत्याशियों को इससे लाभ होगा.

इधर राज्य के मंत्री और चुनाव के अन्य उम्मीदवार भी मानते हैं कि वह चुनाव जीतने के लिए पूजा और अन्य विधियों का सहारा ले रहे हैं. राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री रामविचार नेताम कहते हैं कि पूजा प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. और यदि चुनाव लड़ने जैसा महत्वपूर्ण कार्य हो तब शुभ कार्यों के लिए शुभ मूहुर्त और शुभ समय की जरुरत होती ही है. नेताम बताते है कि वह पिछले पांच बार विधायक रहे चुके हैं और हमेशा की तरह इस बार भी नामांकन भरने से पहले घर में विशेष पूजा करवाई जा रही है. हालंकि नेताम जोर देते हैं कि पूजा के साथ साथ मतदाताओं से जीवंत संपर्क भी उन्हें जीतने में मदद करता है. नेताम रामानुजगंज से भाजपा के प्रत्याशी हैं.

उत्तरी छत्तीसगढ़ की सीट अंबिकापुर से कांग्रेस विधायक टी एस सिंह देव कहते हैं कि यह सच है कि उम्मीदवार चुनाव में जीत के लिए ज्योतिषियों और पंडितों का सहारा लेते हैं तथा यह महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते हैं. सिंह देव कहते हैं कि हमारे जीवन में ग्रह नक्षत्रों का विशेष स्थान है और वे हमारी जिंदगी को प्रभावित करते हैं. ऐसे में चुनाव जैसे महत्वपूर्ण कार्य में ज्योतिषों की सलाह लेना अनुचित नहीं है. आज लगभग 95 प्रतिशत उम्मीदवार शुभ मूहुर्त में ही अपना नामांकन दाखिल करते हैं.

ऐसा नहीं है कि शुभ मूहुर्त के फेर में वरिष्ठ नेता ही हैं जबकि युवा नेता तथा प्रत्याशी भी शुभ मूहुर्त को महत्व दे रहे हैं. रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी कुनाल शुक्ला के मुताबिक उनके अभिवावकों ने ज्योतिष से सलाह मशविरा के बाद उचित समय पर नामांकन फार्म लिया अब वह उचित समय पर धनतेरस के दिन अपना नामांकन जमा करेंगे.

इधर अंध श्रध्दा निमरूलन समिति के अध्यक्ष डाक्टर दिनेश मिश्र उम्मीदवारों द्वारा ज्योतिषियों के चक्कर को केवल अंधविश्वास ही मानते है. दिनेश के मुताबिक ज्योतिष सभी उम्मीदवारों को जीतने के लिए पूजा पाठ करवाने और विशेष उपाय करने तथा शुभ मूहुर्त में नामांकन जमा करने की सलाह देते हैं. जबकि उन्हें इस बात की पूरी जानकारी होती है कि एक सीट से केवल एक ही उम्मीदवार जीतेगा. मिश्र कहते हैं कि उम्मीदवारों और नेताओं को अपने काम और कार्यकर्ताओं पर भरोसा करना चाहिए न कि ग्रह नक्षत्रों पर.

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