नयी दिल्ली : असहिष्णुता बढने संबंधी बयान पर बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान पर भगवा नेताओं के हमलों के बीच भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने दावा किया कि प्रवर्तन निदेशालय की ओर से नोटिस मिलने के बाद अभिनेता ने इस तरह के विचार रखे हैं. हालांकि भाजपा इससे पहले इस मामले में योगी आदित्यनाथ के बयान से दूरी बना चुकी है.
लेखी ने देश में बढती असहनशीलता के दावों पर पुरस्कार लौटाने वालों को अनपढ करार दिया और कहा कि कांग्रेस शासन में ऐसे लोगों को संरक्षण दिया गया.
उन्होंने एक समारोह से इतर कहा, ‘मैं चाहती हूं कि दुनिया जाने कि शाहरख को 26 अक्तूबर को प्रवर्तन निदेशालय का नोटिस मिला था और एक या दो नवंबर को भारत असहिष्णु हो गया.’ उन्होंने कहा, ‘और जब असहिष्णुता की बात आती है तो संभवत: ये वो अनपढ लोग हैं जिन्हें नहीं पता कि कांग्रेस के शासन में देश का इतिहास क्या था.’
नयी दिल्ली से सांसद लेखी ने कहा कि शाहरख खान तब क्यों नहीं बोले जब तसलीमा नसरीन को देश से बाहर निकालने की बातें हो रही थीं या सलमान रश्दी की किताब पर प्रतिबंध लगाया गया था. भाजपा सांसद ने कहा, ‘उन्हें 1984 के सिख-विरोधी दंगों की बरसी पर और मिर्चपुर या गोहाना कांड पर अपनी आवाज उठानी चाहिए थी. कांग्रेस के सत्ता में रहते ऐसी अनेक घटनाएं घटीं लेकिन तब वह चुप थे.’
लेखी ने पार्टी सांसद योगी आदित्यनाथ के इन बयानों को भी सही ठहराने का प्रयास किया, जिनमें शाहरख की तुलना लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद से की गयी है.