असहमति के अधिकार का दमन नहीं किया जा सकता : मनमोहन सिंह

नयी दिल्ली : असहिष्णुता पर छिड़ी बहस में शामिल होते हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने आज कहा कि विचारकों पर हमला या उनकी हत्या को किसी भी आधार पर न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता तथा गणतंत्र के अस्तित्व के लिए विविधता, धर्मनिरपेक्षता तथा बहुलवाद का सम्मान महत्वपूर्ण है. देश में कुछ विचारकों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 6, 2015 12:37 PM

नयी दिल्ली : असहिष्णुता पर छिड़ी बहस में शामिल होते हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने आज कहा कि विचारकों पर हमला या उनकी हत्या को किसी भी आधार पर न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता तथा गणतंत्र के अस्तित्व के लिए विविधता, धर्मनिरपेक्षता तथा बहुलवाद का सम्मान महत्वपूर्ण है. देश में कुछ विचारकों की हत्या और नफरत की हालिया घटनाओं पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि असहमति के अधिकार के दमन की अनुमति नहीं दी जा सकती. सिंह ने इस प्रकार की घटनाओं को ‘‘कुछ हिंसक चरमपंथी समूहों द्वारा विचार, विश्वास और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का घोर उल्लंघन’ करार दिया.उन्होंने इसे देश के आर्थिक विकास के लिए भी खतरनाक बताया.

उन्होंने कहा, ‘‘ विचारों से असहमति के कारण विचारकों पर हमला या हत्या अथवा किसी के खानपान या उनकी जाति को आधार बनाकर इस प्रकार की कार्रवाइयों को अंजाम देने को किसी भी तरह से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता. ना ही असहमत होने के अधिकार के दमन की अनुमति दी जा सकती है.’

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