आसाराम को राक्षस बनाने में मीडिया का योगदान!

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज आसाराम की उस याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया जिसमें उन्होंने मीडिया में अपने से संबंधित समाचार प्रसारित करने पर रोक लगाने की मांग की थी. आसाराम पर एक नाबालिग से यौन उत्पीड़न के आरोप है. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सदाशिवम के नेतृत्व वाली पीठ ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 1, 2013 3:39 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज आसाराम की उस याचिका को स्वीकार करने से इकार कर दिया जिसमें उन्होंने मीडिया में अपने से संबंधित समाचार प्रसारित करने पर रोक लगाने की मांग की थी. आसाराम पर एक नाबालिग से यौन उत्पीड़न के आरोप है.

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सदाशिवम के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा, ‘‘ हम उन्हें क्यों रोकें ? अगर उन्हें पुलिस और अन्य लोगों से सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं तब हम उन्हें कैसे रोक सकते हैं ? क्या हम उन्हें प्रकाशित नहीं करने के लिए कह सकते हैं?’’ पीठ ने आसाराम की याचिका को स्वीकार करने से इंकार किया जिन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें तुच्छ रिपोर्टिंग के जरिये पीड़ित किया जा रहा है.

आसाराम(72 वर्ष)की ओर से उपस्थित होते हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कुछ खबरों का उल्लेख किया जिसमें उनकी छवि राक्षस के रुप में पेश की गयी है. उन्होंने कहा कि अदालत को मीडिया के खिलाफ निर्देश जारी करना चाहिए. पीठ ने हालांकि उनकी दलीलों से असंतुष्ट होते हुए कहा कि आपका समाधान कहीं और है और याचिका खारिज कर दी.

इसके बाद सिंह याचिका वापस लेने पर सहमत हो गए. गौरतलब है कि एक नाबालिक लड़की से यौन उत्पीड़न के आरोप में आसाराम को अगस्त में गिरफ्तार किया गया था और वे राजस्थान के जोधपुर जेल में बंद हैं. उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के और मामलों की जांच चल रही है.

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