Loading election data...

अनुपम खेर ने की राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात

नयी दिल्ली : देश में ‘बढती असहिष्णुता’ के खिलाफ लेखकों और कलाकारों द्वारा किये जा रहे विरोध के जवाब में बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिले लेखकों और कलाकारों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. खेर ने कहा कि पुरस्कार वापसी अभियान राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा है और यह देश को बदनाम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 8, 2015 7:54 AM

नयी दिल्ली : देश में ‘बढती असहिष्णुता’ के खिलाफ लेखकों और कलाकारों द्वारा किये जा रहे विरोध के जवाब में बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिले लेखकों और कलाकारों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. खेर ने कहा कि पुरस्कार वापसी अभियान राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा है और यह देश को बदनाम करने की एक साजिश है.

राष्ट्रपति भवन तक मार्च करने वालों में और राट्रपति प्रणब मुखर्जी को ज्ञापन सौंपने वालों में खेर, निर्देशक मधुर भंडारकर तथा चित्रकार वासुदेव कामथ भी शामिल थे. इस ज्ञापन पर 90 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें कमल हासन, शेखर कपूर, विद्या बालन, रवीना टंडन और विवेक ओबरॉय जैसी फिल्मी हस्तियां, लेखक, पूर्व न्यायाधीश और संगीतकार भी शामिल हैं.

राष्ट्रपति के समक्ष पत्र पढते हुए खेर ने कहा, ‘किसी की भी नृशंस हत्या निंदनीय है. हम लोग इसकी कडी निंदा करते हैं और त्वरित न्याय की उम्मीद करते हैं. लेकिन अगर इसका इस्तेमाल कुछ लोगों द्वारा भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करने की कोशिश के तौर पर किया जा रहा है तो हम लोगों को चिंता करनी चाहिए.’ बाद में, 51 लेखकों और कलाकारों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए खेर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से रेस कोर्स रोड स्थित उनके आवास पर मुलाकात की.

मुलाकात के बाद पीएमओ के एक बयान में बताया गया, ‘‘प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति सहिष्णुता और स्वीकृति की बातों से कहीं आगे है.’ खेर ने प्रदर्शनों को राजनीतिक एजेंडा वाला बताया. उन्होंने से कहा, ‘जिन लोगों ने अपना पुरस्कार लौटा दिया है उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ किसी बातचीत की पहल नहीं की. उन्हें अपना पुरस्कार लौटाने से पहले प्रधानमंत्री से मिलना चाहिए था. मोदीजी ने कहा कि ये प्रदर्शन देश के बाहर भारत की छवि धूमिल करते हैं और इसकी एकता को प्रभावित करते हैं.’

उन्होंने कहा कि किसी को भी भारत को असहिष्णु कहने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि दुनिया में कोई भी देश भारत के समान सहिष्णु नहीं है. खेर ने कहा ‘लोग चाहते हैं कि मैं रक्षात्मक हो जाउं क्योंकि वे मुझसे कहते रहते हैं, ‘आप भाजपा से जुडे हुए हैं, आपकी पत्नी भाजपा में है. उनकी मंशा देश को बदनाम करने की है. अगर घर में कोई लडाई होती है तो हम लोग संवाद करते हैं लेकिन ये लोग बिना किसी कारण के निराश हैं और किसी तरह की बातचीत भी नहीं हुई है. मुझे गुस्सा आता है क्योंकि विदेशी अखबार भारत को असहनशील बता रहे हैं.’

मार्च में शामिल भंडारकर ने कहा, ‘जिस तरह से समूचे प्रकरण को पेश किया जा रहा है और उसका जो संदेश देश से बाहर जा रहा है, वह गलत है. यह विविधताओं का देश है और निश्चित तौर पर कुछ घटनाएं हुई हैं लेकिन हम सभी उन घटनाओं की निंदा करते हैं. इस बारे में दो राय नहीं हैं.’ फिल्म निर्माता प्रियदर्शन ने अवार्ड वापसी के कदम को राजनीतिक एजेंडा बताया.

उन्होंने कहा, ‘वर्षों की असहिष्णुता के बाद हम लोगों को एक व्यक्ति (नरेंद्र मोदी) मिला है जिसके पास एक नजरिया है. वे उनको काम करते हुए नहीं देखना चाहते. वे उनके द्वारा किये जा रहे प्रयासों को नाकाम करना चाहते हैं. अवार्ड वापसी के पीछे बहुत बडा राजनीतिक एजेंडा है.’ एक अन्य फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने बताया कि राष्ट्रपति ने उन लोगों को आश्वासन दिया है कि वह इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से बात करेंगे.

उधर, चेन्नई में कमल हासन ने पुरस्कार लौटाने के खिलाफ अपना रुख दोहराते हुए कहा कि इस तरह कार्य किसी समाधान तक नहीं ले जाएगा. ‘बढती असहिष्णुता’ का कई लेखक, इतिहासकार, वैज्ञानिक और फिल्म निर्माता विरोध कर रहे हैं और कम-से-कम 75 लोगों ने अपने पुरस्कार वापस किये हैं. भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पहले ही विरोध को कृत्रिम आक्रोश और राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर चुकी है.

Next Article

Exit mobile version