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बिहार चुनाव में खूब दबा नोटा का बटन

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद चुनाव आयोग द्वारा 2013 में शुरु किए गए नोटा विकल्प को बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान 9,13,561 मतदाताओं ने तरजीह दी जो कुल मतों का करीब ढाई प्रतिशत है.चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकडों के अनुसार 9,13,561 मतदाताओं ने ‘‘इनमें से कोई नहीं” या नोटा […]

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद चुनाव आयोग द्वारा 2013 में शुरु किए गए नोटा विकल्प को बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान 9,13,561 मतदाताओं ने तरजीह दी जो कुल मतों का करीब ढाई प्रतिशत है.चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकडों के अनुसार 9,13,561 मतदाताओं ने ‘‘इनमें से कोई नहीं” या नोटा विकल्प के पक्ष में मतदान किया। प्रदेश में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं. इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में सबसे आखिरी विकल्प के तौर नोटा का बटन होता है. अंतिम नतीजों के आने तक नोटा के आंकडों और प्रतिशत में बदलाव हो सकता है.

बिहार विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 6.68 करोड मतदाताओं यानी 56.80 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। यह बिहार में लोकसभा या विधानसभा के किसी भी चुनाव में अब तक का सर्वाधिक मतदान है. इस बार इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में नोटा विकल्प का भी अपना एक चुनाव चिह्न था। मतपत्र पर काली स्याही से कटे का निशान इसका चिह्न था.पिछले साल लोकसभा चुनाव में करीब 60 लाख मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था.
उच्चतम न्यायालय के आदेश के पहले जो मतदाता किसी उम्मीदवार को मत नहीं देना चाहते थे, उन्हें एक फार्म 49…0 भरना होता था। लेकिन चुनाव संबंधी नियमों के अनुसार मतदान केंद्र पर यह फार्म भरने से मतदाता की गोपनीयता प्रभावित होती थी. हालांकि उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग को यह निर्देश देने से इंकार कर दिया था कि अगर नोटा विकल्प का उपयोग करने वाले मतदाताओं की संख्या आधे से ज्यादा होती है तो नए सिरे से चुनाव कराएं जाएं.

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