5G connectivity: ग्रामीण इलाकों में 5जी कनेक्टिविटी के लिए आईआईटी रुड़की और सी-डॉट मिलकर करेंगे काम

मिलीमीटर वेव ट्रांसीवर का उपयोग करके ग्रामीण संपर्क बढ़ाने के लिए स्वदेशी रूप से किफायती तकनीक विकसित करने के साथ ही डिजिटल सेवाओं की कमी को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा.

By Anjani Kumar Singh | November 6, 2024 7:39 PM

5G connectivity: ग्रामीण इलाकों में 5जी कनेक्टिविटी की पहुंच को आसान बनाने के लिए दूरसंचार विभाग के सी-डॉट और आईआईटी रुड़की मिलकर काम करेंगे. यह समझौता ” मिलीमीटर वेव ट्रांसीवर’ के निर्माण के लिये किया गया है. इसका उद्देश्य किफायती ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाएं उपलब्ध कराना है, जो पूरे भारत में डिजिटल सेवाओं की कमी दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. भारतीय स्टार्टअप, शिक्षाविदों और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को वित्तपोषित करने के लिए बनाई गई यह योजना दूरसंचार उत्पादों और समाधानों के डिजाइन, विकास और व्यवसायीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. 

वेव बैकहॉल तकनीक पर आधारित


यह परियोजना मिलीमीटर वेव बैकहॉल तकनीक के विकास पर केंद्रित है जिसमें केवल कुछ ही एसबीएस (स्मॉल सेल-बेस्ड स्टेशन) को फाइबर के माध्यम से गेटवे से जोड़ा जाता है. ट्रांसीवर विकास में प्रस्तावित अभिनव मिश्रित ऑप्टिकल और मिलीमीटर वेव दृष्टिकोण के समग्र आकार और कम लागत के वांछित आउटपुट को प्राप्त करने के लिए एक आशाजनक तरीका होगा. यह छोटे और मध्यम स्तर के उद्योगों को भारत में अपनी विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा जो धातुओं के साथ संयोजन में बहुलक-आधारित संरचना के उपयोग के कारण इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा. इससे सेमीकंडक्टर निर्माण उद्योगों पर हमारी अत्यधिक निर्भरता भी कम होगी. प्रौद्योगिकी के विकास के लिए प्रस्तावित लागत रोजगार के उन अवसरों की तुलना में बहुत कम है जो इससे पैदा होंगे. 

बौद्धिक संपदा सृजन पर होगा फोकस


इस परियोजना का उद्देश्य बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) उत्पन्न करने और 5G/6G के लिए उभरती मिलीमीटर वेव/सब-टीएचजेड तकनीक का साथ देने के लिए एक कुशल कार्यबल विकसित करने में योगदान देना भी है.समझौते पर हस्ताक्षर के अवसर पर आईआईटी रुड़की के मुख्य अन्वेषक प्रोफेसर नागेंद्र प्रसाद पाठक तथा सी-डॉट के निदेशक डॉ. पंकज कुमार दलेला सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. 

इस कार्यक्रम में प्रोफेसर नागेंद्र प्रसाद पाठक ने मिलीमीटर वेव का उपयोग करके ग्रामीण संपर्क बढ़ाने के लिए स्वदेशी रूप से किफायती तकनीक विकसित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह दूरसंचार क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान क्षमताओं और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के प्रयासों को बल देता है.

सी-डॉट के सीईओ डॉ राजकुमार उपाध्याय ने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप अनुसंधान और बौद्धिक संपदा सृजन पर ध्यान केंद्रित करके दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास में सभी बदलावों में भारत को अग्रणी बनाए रखने की अपनी इच्छा व्यक्त की. उन्होंने सेल-फ्री 6जी नेटवर्क को आकार देने के लिए समय पर समाधान विकास और वितरण पर इस सहयोगी प्रयास के लिए सी-डॉट की प्रतिबद्धता को दोहराया.

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