मिसाइल अग्नि-4 का सफल प्रायोगिक परीक्षण

बालेश्वर (ओडिशा) : भारत ने आज सशस्त्र बलों के प्रयोगकर्ता परीक्षण के तहत परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम रणनीतिक बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-4 का प्रायोगिक परीक्षण किया. 4000 किलोमीटर तक की दूरी पर मौजूद लक्ष्य को भेद सकने वाली इस मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के तट पर स्थित एक परीक्षण रेंज से किया गया. रक्षा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 9, 2015 12:42 PM

बालेश्वर (ओडिशा) : भारत ने आज सशस्त्र बलों के प्रयोगकर्ता परीक्षण के तहत परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम रणनीतिक बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-4 का प्रायोगिक परीक्षण किया. 4000 किलोमीटर तक की दूरी पर मौजूद लक्ष्य को भेद सकने वाली इस मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के तट पर स्थित एक परीक्षण रेंज से किया गया. रक्षा सूत्रों ने कहा कि एक गतिशील प्रक्षेपक की मदद से इस मिसाइल का परीक्षण अब्दुल कलाम आइलैंड स्थित इंटीग्रेटेड टैस्ट रेंज के लॉन्च कॉम्पलेक्स-4 से सुबह लगभग नौ बजकर 45 मिनट पर किया गया. इस स्थान का नाम पहले व्हीलर आइलैंड था. उन्होंने कहा कि सतह से सतह तक मारने में सक्षम स्वदेशी मिसाइल अग्नि-4 में द्विचरणीय शस्त्र प्रणाली है. यह 20 मीटर लंबी और 17 टन भारी है. यह परीक्षण सेना की रणनीतिक बल कमान (एसएफसी) द्वारा किया गया.

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सूत्रों ने कहा, ‘सतह से सतह तक मार करने में सक्षम परिष्कृत मिसाइल में उच्चस्तरीय विश्वसनीयता के लिए आधुनिक एवं सुसंबद्ध वैमानिकी का इस्तेमाल हुआ है.’ उन्होंने कहा कि अग्नि-4 मिसाइल में पांचवी पीढी के कंप्यूटर लगे हैं. इसकी आधुनिकतम विशेषताएं उडान के दौरान होने वाले अवरोधों के दौरान खुद को ठीक एवं दिशानिर्देशित कर सकती हैं. वाहन का अपने लक्ष्य तक सटीकता से साथ पहुंचना सुनिश्चित करने के लिए इसमें विशेष नेविगेशन प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया है.

पुन: प्रवेश उष्मा कवच 4000 डिग्री सेंटीग्रेड तक के तापमान को सह सकता है और यह सुनिश्चित करता है कि अंदर का तापमान 50 डिग्री से कम रहे और इस दौरान वैमानिकी सामान्य ढंग से काम कर सके. सूत्रों ने कहा कि सशस्त्र बलों के शस्त्रागार में अग्नि-1,2,3 और पृथ्वी पहले से मौजूद हैं, जो कि इन्हें 3000 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी को अपनी जद में ला देती हैं. इनके जरिए देश को एक प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता मिली है. उन्होंने कहा कि मिसाइल के रास्ते पर नजर रखने के लिए और इसके हर पैमाने के निरीक्षण के लिए ओडिशा के तट पर रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल व्यवस्थाएं लगायी गयी थीं. अंतिम चरण को देखने के लिए भारतीय नौसेना के दो पोत लक्षित स्थान के पास लगाये गये थे. यह अग्नि-4 मिसाइल का पांचवा परीक्षण था. पिछला परीक्षण सेना के एसएफसी ने दो दिसंबर 2014 को किया था, जो कि सफल रहा था.

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