गोमांस विवाद पर आर्गनाईजर का लेख ‘‘हिंदुओं को अपमानित करने की आजादी””

नयी दिल्ली : केरल हाउस गोमांस विवाद की पृष्ठभूमि में ‘आर्गनाईजर’ में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि जो लोग गोमांस खाने पर जोर दे रहे हैं वे ‘‘हिंदुओं को अपमानित करने की आजादी” और परोक्ष रुप से विवेकशील लोगों की आवाज को दबाना चाहते हैं. इसमें कहा गया है ‘‘अपनी पसंद के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2015 9:01 AM

नयी दिल्ली : केरल हाउस गोमांस विवाद की पृष्ठभूमि में ‘आर्गनाईजर’ में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि जो लोग गोमांस खाने पर जोर दे रहे हैं वे ‘‘हिंदुओं को अपमानित करने की आजादी” और परोक्ष रुप से विवेकशील लोगों की आवाज को दबाना चाहते हैं. इसमें कहा गया है ‘‘अपनी पसंद के भोजन खाने की आजादी के नाम पर वे लोग हिंदुओं को अपमानित करने की आजादी की मांग कर रहे हैं.

उनके लिए मुद्दा खाने के मौलिक अधिकार से नहीं बल्कि हिंदुओं को अपमानित करने के मौलिक अधिकार से जुडा है.” इसमें साथ ही कहा गया है ‘‘कांग्रेस की सरकार में सत्ता का स्वाद चखने वाले इन लोगों ने परोक्ष तौर पर सभी विवेकशील आवाजों को दबाया है.” लेख में कहा गया है ‘‘इस छद्म धर्मनिरपेक्ष जमात ने नये मुहावरे गढे हैं और जहां खाने की आजादी का मतलब अपमानित करने की आजादी होती है. किसी भी तरह की प्रतिक्रिया को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार के अंतर्गत असहिष्णुता के रुप में प्रचारित किया जाता है. इनकी नई टैग लाइन है ‘हिंदुओं को कोसो, कानून को कोसो, हम धर्मनिरपेक्ष हैं.”

आरएसएस के समर्थकों द्वारा निकाले जाने वाली पत्रिका के आलेख में कहा गया है कि केरल हाउस गोमांस विवाद और बाद में केरल के मुख्यमंत्री और कुछ अन्य राज्यों द्वारा किये गये विरोध से कानून का पालन करने वाले देशवासी दंग रह गये. दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को अत्यंत आपत्तिजनक करार देने वाले केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी की आलोचना करते हुए इसमें कहा गया है कि चांडी का विरोध अपने आप में अवैध और कानून कायम रखने के लिए उनके द्वारा ली गयी शपथ की भावना के विपरीत था.

आलेख में कहा गया है ‘‘वास्तव में, पुलिस की कार्रवाई का विरोध करने वाले सभी मुख्यमंत्रियों ने अपनी सीमा का उल्लंघन किया है और अपनी शपथ की अवहेलना की है.” एक समूह द्वारा कोलकाता में सडक पर गोमांस भोज के बारे में इसमें कहा गया है कि यह कानून के खिलाफ है और पुलिस हर बार की तरह इस बार भी असहाय दिखी.

लेख में लिखा गया है ‘‘हिंदू गायों का सम्मान करते हैं और इसे अपनी मां की तरह मानते हैं तो क्या हुआ, गोमांस खिलाना गैरकानूनी है तो क्या हुआ, संविधान का अनुच्छेद 48 अगर भारत सरकार को गाय बचाने और गोवध पर प्रतिबंध के लिए कोशिश करने का निर्देश देता है तो क्या हुआ, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अगर गोवध को प्रतिबंधित करने को भारत का पहला कानून बनाने की वकालत की तो क्या हुआ, हम लोग गोमांस खायेंगे. हिंदुओं को कोसो, कानून को कोसो, पुलिस को कोसो.”

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