भाजपा की हार से आखिर हरकत में क्यों आयी मार्गदर्शक मंडली?

नयी दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा में खलबली मच गयी है. पार्टी के बुजुर्ग नेताओं के निशाने पर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह की जोड़ी है. भाजपा के अंदर इन दिनों हार पर चिंतन का दौर जारी है. इसी क्रम में आज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2015 9:29 PM

नयी दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा में खलबली मच गयी है. पार्टी के बुजुर्ग नेताओं के निशाने पर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह की जोड़ी है. भाजपा के अंदर इन दिनों हार पर चिंतन का दौर जारी है. इसी क्रम में आज पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं ने बिहार चुनाव में हार की वजहों पर आत्‍ममंथन किया. मुरली मनोहर जोशी के घर भाजपा के बुजुर्ग नेता लालकृष्ण आडवाणी,यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और के एन गोविंदाचार्या की बैठक हुई. बैठक के बाद सभी ने साझा बयान जारी किया.

सभी नेताओं ने भाजपा नेतृत्‍व पर सवाल उठाया. ज्ञात हो बैठक में शामिल सभी नेता भाजपा के दिग्गज नेता समझे जाते थे. जिन्हें मोदी और शाह की जोड़ी ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया है . पिछले एनडीए सरकार में इन नेताओं ने बेहद अहम मंत्रालय संभाले थे. बैठक में शामिल अरुण शौरी ने कुछ दिनों पहले मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना की थी. जब आडवाणी, जोशी और पार्टी के कभी थिंक टैंक समझे जाने वाले गोविंदाचार्या बैठक में शामिल हो तो भाजपा के अंदरुनी संघर्ष का अंदाजा लगाया जा सकता है.
बुजुर्ग नेताओं के असंतोष के मायने
इस बैठक से साबित हो गया कि मोदी और शाह की नेतृत्व को खुली चुनौती मिलनी शुरू हो गयी है. आने वाले दिनों में शाह के खिलाफ पार्टी के बुजुर्ग नेता, असंतुष्ट क्षत्रप आगे आयेंगे. इधर आरएसएस भी नहीं चाहती है कि सरकार और पार्टी दोनों मोदी- शाह के पूर्ण नियंत्रण में रहे.
बिहार चुनाव में करारी हार के बाद सबसे पहली गाज शाह पर गिर सकती है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सरकार के कामकाजों से जनता का विश्वास हासिल करना है. उनकी लड़ाई अब पार्टी के भीतर और बाहर दोनों ही होगी. लेकिन ,इन सारी संघर्ष के बीच सबसे बड़ी भूमिका आरएसएस की रहेगी.

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