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चौतरफा घिरी मोदी सरकार !
नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार के लगभग 18 महीने पूरे हो चुके हैं. इतने कम समय में भले ही मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप न लगा हो लेकिन देश में बढ़ती असिष्णुता, गौ मांस और हिंदू- मुस्लिमों के मुद्दे पर सरकार को घेरने की खूब कोशिश की गयी. दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली […]
नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार के लगभग 18 महीने पूरे हो चुके हैं. इतने कम समय में भले ही मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप न लगा हो लेकिन देश में बढ़ती असिष्णुता, गौ मांस और हिंदू- मुस्लिमों के मुद्दे पर सरकार को घेरने की खूब कोशिश की गयी.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी के अंदर दबे स्वर में ही सही पर विरोध नजर आने लगा था. लेकिन राजस्थान, महाराष्ट्र हिरयाणा और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में मिली जीत ने पार्टी के नेताओं की मुखर होती आवाज को दबा दिया. अब बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सवाल नरेंद्र मोदी और अमित शाह की नीतियों पर सवालिया निशान खड़ी कर रही है. आइये समझने की कोशिश करते हैं कैसे धीरे- धीरे चौतरफा घिर रही है मोदी सरकार.
विरोध का नया तरीका, अवार्ड वापसी
देश में बढ़ती असहिष्णुता पर जब नयन तारा शहगल ने अवार्ड वापस करने की घोषणा की तो उनके पीछे अवार्ड वापस करने वालों की लंबी कतारें लग गयी. एक के बाद एक कई साहित्यकार और कवियों ने अवार्ड वापस करने की घोषणा कर दी. मोदी सरकार पर आरोप लगा कि उनके इतने कम कार्याकाल में ही हिंदू और मुस्लिमों के बीच खाई इतनी गहरी हो गयी है कि देश में असिष्णुता का माहौल हो गया.
प्रधानमंत्री ने अवार्ड वापसी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सरकार की नीतियों का बचाव करते रहे उन्होंने आम जनता को यह भी समझाने की कोशिश की कि यह एक सुनियोजित योजना के तहत किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश विकास की तरफ बढ़ रहा है. इस खींच तान के बीच सरकार के लिए परेशानी उस वक्त और बढ़ गयी जब पूर्व भाजपा नेता और वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी ने खुलकर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर हमला करना शुरू कर दिया. वन रैंक वन पेंशन को लेकर पूर्व सैनिक भी अवार्ड वापस करने की योजना बना रहे हैं. असिष्णुता को लेकर भले ही अब दो गुट नजर आ रहे हों जिसमें एक का नेतृत्व अनुपम खेर कर रहे हैं लेकिन अभी भी मोदी सरकार इसे लेकर चिंतित है.
प्रतिबंध पर भी घिरी मोदी सरकार
नरेंद्र मोदी सरकार बीफ पर लगे प्रतिबंध के कारण भी घिरी. इसके अलावा पोर्न पर लगाया गया प्रतिबंध भी मोदी सरकार के लिए नयी परेशानी लेकर आया. गौ मांस पर लगे प्रतिबंध को लेकर बुद्धिजीवि टीवी चैनलों पर भिड़े थे तो पोर्न को लेकर सोशल मीडिया पर मोदीसरकारको घेरने की कोशिश की जाने लगी.
बैन पर तरह-तरह के चुटकुले बने जिसे सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया. बीफ पर प्रतिबंध ने एक नयी बहस छेड़ दी जिसमें मोदी सरकार घिरती नजर आयी. मुद्दा पाकिस्तान तक पहुंच गया वहां से बयान आया कि भारत में पिंक रिव्यूलेशन ऐसे नहीं आया.
विदेश यात्रा को लेकर भी विपक्षियों नेमोदीकोघेरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथग्रहण समारोह में शार्क देशों को न्योता देकर अपनी विदेश नीति का परिचय दे दिया था. शपथ ग्रहण के बाद नरेंद्र मोदी ने कई देशों का दौरा किया. लोकसभा में प्रधानमंत्री की उपस्थिति पर सवाल खड़े किये गये. कहा गया कि वह प्रधानमंत्री देश में रहना पसंद नहीं करते. विदेश यात्रा में दिए गये बयानों को भी मुद्दा बनाया गया.
अब पार्टी के अंदर बगावत
नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने लोकसभा चुनाव में खूब रंग जमाया. दोनों की जोड़ी को लहर के रूप में देखा जाने लगा और ऐसा हुआ भी. दोनों के नेतृत्व में पार्टी ने एक के बाद एक कई राज्यों में जबरदस्त जीत दर्ज की. पार्टी में दोनों की जोडी़ को नापसंद करने वालों की भी कमी नहीं थी.लेकिन समय की पुकार ने उनकी आवाज को दबा दिया.
पार्टी के अंदर उन नेताओं को पहला मौका दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार के रूप में मिला लेकिन लोकसभा चुनाव और कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली जीत के सामने एक हार के कारण उनकी आवाजें उनती बुलंद नहीं हो सकी लेकिन अब बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी को नापंसद करने वालों की आवाज बुलंद हो गयी है.
भारतीय जनता पार्टी ने गोवा कार्यकारणी की बैठक में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया. इस बैठक से कई दिग्गज नेता नदारद थे. पार्टी दो गुट में बंट चुकी थी. बिहार चुनाव में मिली हार के बाद अब दूसरा गुट अपनी आवाजें तेज करने में लगा है. नरेंद्र मोदी सरकार कई मुद्दों को लेकर पहले ही घिरी है ऐसे में पार्टी के अंदर से उठती बगावत की आवाज पार्टी और सरकार को कितना नुकसान पहुंचायेगी ये देखना होगा.
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