डॉ. भरत ने सात साल में किये 5,600 पोस्टमॉर्टम, छुट्टी एक भी नहीं !

इंदौर : इसे गजब के पेशेवर समर्पण के अलावा क्या कहा जा सकता है कि यहां सरकारी अस्पताल का एक सजर्न पिछले सात साल से बगैर किसी अवकाश के लगातार पोस्टमॉर्टम कर रहा है. यह कारनामा उन कर्मचारियों के लिये नजीर भी हो सकता है, जो कम छुट्टी मिलने की बात पर हमेशा मुंह फुलाये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 6, 2013 1:53 PM

इंदौर : इसे गजब के पेशेवर समर्पण के अलावा क्या कहा जा सकता है कि यहां सरकारी अस्पताल का एक सजर्न पिछले सात साल से बगैर किसी अवकाश के लगातार पोस्टमॉर्टम कर रहा है. यह कारनामा उन कर्मचारियों के लिये नजीर भी हो सकता है, जो कम छुट्टी मिलने की बात पर हमेशा मुंह फुलाये रहते हैं.

अधिकारियों ने आज बताया कि गोविंदवल्लभ पंत जिला अस्पताल में छह नवंबर 2006 को शव परीक्षण विभाग शुरु किया गया था.. तब से इस इकाई के प्रमुख के रुप में डॉ. भरत वाजपेयी बिना किसी छुट्टी के अब तक करीब 5,600 पोस्टमॉर्टम कर चुके हैं.

वाजपेयी कहते हैं, मेडिको-लीगल मामलों की जांच में पोस्टमॉर्टम एक महत्वपूर्ण कड़ी है. यह ऐसा काम है, जिसे टाला नहीं जा सकता. हालांकि, यह काम पिछले सात साल से मेरे लिये जुनून बना हुआ है. 52 वर्षीय सरकारी सजर्न ने बताया कि छुट्टी से परहेज करते हुए लगातार पोस्टमॉर्टम करने वाली उनकी टीम का कीर्तिमान वर्ष 2011 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के पन्नों पर भी दर्ज हो चुका है.

उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल का शव परीक्षण गृह मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों की शायद सबसे छोटी फॉरेंसिक मेडिसिन इकाई है, जिसे अक्तूबर 2011 में सूबे की पहली कम्प्यूटरीकृत पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देने का गौरव भी हासिल है. इस इकाई से उनके दो सहयोगी,संतोष बनकर और गोपाल शिन्दे भी लम्बे वक्त से जुडे हैं.

वाजपेयी याद करते हैं कि पिछले सात सालों के दौरान ऐसे कई मौके आये, जब उनकी अगुवाई वाली तीन सदस्यीय टीम ने जिलाधिकारी की इजाजत पर रात को भी पोस्टमॉर्टम किया.

वह चाहते हैं कि देश में मृत्यु उपरांत अंगदान को बढ़ावा देने के लिये नियम-कायदों को सरल बनाया जाये. इसके साथ ही, हर अस्पताल में एक काउंसलर की नियुक्ति की जाये जो लोगों को मृत्यु उपरांत अंगदान के लिये प्रेरित करे और इसकी तय प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दे.

Next Article

Exit mobile version