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ओआरओपी : पदकों को जलाना राष्ट्र का अपमान : पर्रिकर
नयी दिल्ली : ओआरओपी विवाद आज और बढ गया. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पूर्व सैनिकों के पदक जलाने के प्रयासों को राष्ट्र का अपमान बताया और प्रदर्शनकारी पूर्व सैनिकों से कहा कि वे इस बात को साबित करें कि आंदोलन के पीछे कोई राजनैतिक मकसद नहीं है. वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पूर्व सैनिकों […]
नयी दिल्ली : ओआरओपी विवाद आज और बढ गया. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पूर्व सैनिकों के पदक जलाने के प्रयासों को राष्ट्र का अपमान बताया और प्रदर्शनकारी पूर्व सैनिकों से कहा कि वे इस बात को साबित करें कि आंदोलन के पीछे कोई राजनैतिक मकसद नहीं है. वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पूर्व सैनिकों की मांग का समर्थन किया.
पर्रिकर ने तमिलनाडु के अरक्कोणम में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘अगर मैं कुछ कहता हूं तो यह आरोप हो जाएगा. उन्हें साबित करने दें कि यह राजनैतिक नहीं है.” पर्रिकर से पूछा गया था कि क्या सरकार की प्रतिक्रिया और वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना पर अधिसूचना के बावजूद आंदोलन जारी रहने के बीच कोई राजनैतिक कडी देखते हैं.उन्होंने कहा कि पदक सशस्त्र बलों द्वारा दिए गए बलिदान के लिए राष्ट्र की तरफ से मान्यता हैं.
पर्रिकर ने कहा, ‘‘उन्हें जलाना और वापस लौटाना राष्ट्र और रक्षा बलों का अपमान है.” मंत्री का बयान पूर्व सैन्यकर्मियों के एक हिस्से के इस आधार पर असंतोष जताने के मद्देनजर आया है कि ओआरओपी अधिसूचना में उनकी मांगें पूरी तरह से नहीं मानी गई हैं.सरकार ने इस महीने औपचारिक तौर पर ओआरओपी योजना की अधिसूचना जारी की थी। यह योजना 24 लाख से अधिक पूर्व सैनिकों और छह लाख सैन्यकर्मियों की विधवाओं के लिए है.
पर्रिकर ने कहा, ‘‘पदक राष्ट्र की सेवा के लिए वीरता को मान्यता है. इसका सेवा शर्तों से कोई लेना-देना नहीं है जबकि ओआरओपी सेवा शर्तों के बारे में है. यह नहीं कहता है कि आप पदकों के हकदार हैं. यह सेवा शर्तों के बारे में बात करता है यथा आपके वेतन और हकों के बारे में है.” उनका बयान ऐसे दिन में आया है जब केजरीवाल ओआरओपी नारे वाली टोपी और टी-शर्ट पहने पूर्व सैन्यकर्मियों से मिलने जंतर-मंतर पहुंचे.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज जंतर मंतर पर आंदोलन कर रहे पूर्व सैन्यकर्मियों के आंदोलन में शामिल हुए और केंद्र से पूर्व सैनिकों के लिए ‘वन रैंक वन पेंशन’ को उसकी सही भावना में लागू करने का आह्वान किया। उन्होंने इस संबंध में केंद्र की हालिया अधिसूचना को खारिज कर दिया.
केजरीवाल ने प्रदर्शनकारी पूर्व सैनिकों के अस्थायी मंच के निकट मीडिया से बातचीत की। हालांकि, उन्होंने भीड को आधिकारिक तौर पर संबोधित नहीं किया क्योंकि आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने कोई राजनैतिक बयान नहीं देने को कहा. केजरीवाल ने कहा, ‘‘सरकार की अधिसूचना तमाशा है क्योंकि यह सही भावना के अनुरुप नहीं है. कृपया पूर्व सैनिकों को मूर्ख नहीं बनाएं.
ओआरओपी को उसकी परिभाषा के अनुसार लागू करें। वे भीख नहीं मांग रहे हैं बल्कि अपना अधिकार मांग रहे हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के सैनिक अपने अधिकारों के लिए सडकों पर संघर्ष कर रहे हैं.” मुख्यमंत्री ने पूर्व सैन्यकर्मियों के समर्थन में ट्वीट भी किया। उन्होंने कहा कि उनकी सारी मांगें तर्कसंगत है और भाजपा नीत केंद्र उनके साथ अनुचित रख अपना रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र को तत्काल उनकी मांगों को मान लेना चाहिए.” प्रदर्शनकारी पूर्व सैनिकों ने इससे पहले केजरीवाल से मुलाकात की थी और ओआरओपी अधिसूचना में ‘कमियों’ के बारे में उन्हें जानकारी दी.
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