बदलते वेश्विक परिदृश्य के अनुरुप हो विदेश नीति का निर्माणः प्रणब
नयी दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि भारत की विदेश नीति को कुछ बुनियादी सिद्धांतों से निर्देशित होने और वैश्विक शांति के प्रति देश की प्रतिबद्धता को जारी रखने के साथ दुनिया में बदलते परिश्दृयों के अनुरुप अवश्य बनाया जाना चाहिए. मिशन प्रमुखों के वार्षिक सम्मेलन को यहां संबोधित करते हुए मुखर्जी ने […]
नयी दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि भारत की विदेश नीति को कुछ बुनियादी सिद्धांतों से निर्देशित होने और वैश्विक शांति के प्रति देश की प्रतिबद्धता को जारी रखने के साथ दुनिया में बदलते परिश्दृयों के अनुरुप अवश्य बनाया जाना चाहिए.
मिशन प्रमुखों के वार्षिक सम्मेलन को यहां संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा, ‘‘हमारी विदेश नीति में कुछ बुनियादी सिद्धांत हैं जिन्हें हमने अपने मूल्यों और अपने स्वतंत्रता संग्राम से हासिल किया है. वे अवश्य हमारे पड़ोसियों के साथ हमारे संबंधों में हमारा मार्गदर्शन जारी रखेंगे.’’ इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कुल 120 भारतीय राजनयिक यहां जुटे हैं. इस साल के सम्मेलन का विषय है ‘‘बदलती विश्व व्यवस्था में भारत का स्थान.’’ राष्ट्रपति ने कहा कि सम्मेलन का विषय ‘बेहद प्रासंगिक’ है.
मुखर्जी ने कहा, ‘‘भारत वैश्विक शांति के प्रति हमेशा वचनबद्ध रहा है लेकिन इस तथ्य को लेकर भी सचेत है कि उसके लिए प्रयास हमारे पड़ोस से शुरु होना चाहिए. हम मित्र बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘बदलाव निरंतर है और भारत की विदेश नीति को दुनिया में बदलते परिदृश्य के अनुरुप अवश्य बनाया जाना चाहिए.’’ आतंकवाद के बारे में चर्चा करते हुए मुखर्जी ने साफ कर दिया कि यह समस्या बड़ी चुनौती बनी हुई लेकिन कोई भी इससे खुद को नहीं बचा सका है.
मुखर्जी ने कहा, ‘‘भारत पहला देश था जिसने आतंकवाद से पैदा खतरे की उच्च व्यक्तिगत कीमत को पहचाना और विश्व को इस बारे में चेतावनी दी. भारतीय उपमहाद्वीप में अनेक देश हैं जो आतंकवाद का शिकार हुए हैं.’’ मुखर्जी ने कहा, ‘‘उसने अपने नेताओं की राजनैतिक हत्या सबसे बड़ी संख्या में देखी है. आतंकवाद की इस चुनौती का महती सामूहिक प्रयासों के जरिए निराकरण किया जाना चाहिए. कोई भी देश इस समस्या से खुद को नहीं बचा सकता.’’ मुखर्जी ने कहा कि भारत देशों के समूह में सही स्थान का हकदार है. उन्होंने मिशन प्रमुखों से इस लक्ष्य की दिशा में काम करने को कहा है.