हेमराज के शव को घसीटे जाने के मामले को बताया बेबुनियाद

गाजियाबाद: आरुषि-हेमराज दोहरा हत्याकांड मामले में बचाव पक्ष ने ‘शव को घसीटे जाने के’ सीबीआई के सिद्धांत को आज पूरी तरह बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया, जिसके तहत जांच एजेंसी ने दावा किया था कि दंत चिकित्सक दंपती ने घरेलू सहायक की एक गोल्फ क्लब से नृशंसता से वार कर हत्या के बाद उसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 6, 2013 11:15 PM

गाजियाबाद: आरुषि-हेमराज दोहरा हत्याकांड मामले में बचाव पक्ष ने ‘शव को घसीटे जाने के’ सीबीआई के सिद्धांत को आज पूरी तरह बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया, जिसके तहत जांच एजेंसी ने दावा किया था कि दंत चिकित्सक दंपती ने घरेलू सहायक की एक गोल्फ क्लब से नृशंसता से वार कर हत्या के बाद उसके शव को छत पर छिपा दिया था.

बचाव पक्ष के वकील तनवीर अहमद मीर ने आज यहां विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष दलील दी कि केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के तत्कालीन मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. राजेन्द्र सिंह ने प्रयोगशाला और सीबीआई अधिकारियों की एक टीम के साथ नवंबर 2010 में राजेश एवं नुपूर तलवार के एल 32 जलवायु विहार आवास में वारदात स्थल का एक ‘डमी टेस्ट’ किया था.

यह जांच इस बात का पता लगाने के लिए की गई थी कि क्या सामान्य कद काठी के दो वयस्क लोगों द्वारा एक वयस्क व्यक्ति के शव को एक चादर में लपेटना और सीढ़ियों के जरिए इसे छत पर ले जाना संभव है.

मीर ने आज दलील दी कि डमी टेस्ट आरुषि के कमरे में नहीं की गई बल्कि यह सीढ़ियों और छत पर की गई. उन्होंने सीबीआई की इस दलील का विरोध किया कि राजेश ने हेमराज को जब आरुषि के साथ पाया तो उसपर नृशंसता से वार किया. उन्होंने कहा कि डमी टेस्ट सिर्फ वारदात स्थल से लिए गए तस्वीरों के आधार पर किया गया.

उन्होंने पूछा कि यह जांच आरुषि के कमरे में क्यों नहीं की गई?उन्होंने दलील दी कि तलवार दंपती द्वारा हेमराज के शव को सीढ़ियों से छत पर ले जाया जाना असंभव है.

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