इंसानियत और इस्लाम के सबसे बडे दुश्मन आतंकवाद और कट्टरपंथी: नकवी

नयी दिल्ली : पेरिस में हुए आतंकवादी हमले की पृष्ठभूमि में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज कहा कि आतंकवाद एवं कट्टरपंथ इंसानियत और इस्लाम के ‘‘सबसे बडे दुश्मन” हैं. नकवी ने कहा कि भारत की ‘‘गहरी” सामाजिक-सांस्कृतिक एकता एवं जीवंत लोकतंत्र के कारण इस देश में ऐसी ताकतों को कोई जगह नहीं मिल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2015 7:31 PM

नयी दिल्ली : पेरिस में हुए आतंकवादी हमले की पृष्ठभूमि में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज कहा कि आतंकवाद एवं कट्टरपंथ इंसानियत और इस्लाम के ‘‘सबसे बडे दुश्मन” हैं. नकवी ने कहा कि भारत की ‘‘गहरी” सामाजिक-सांस्कृतिक एकता एवं जीवंत लोकतंत्र के कारण इस देश में ऐसी ताकतों को कोई जगह नहीं मिल सकती. मिस्र में आतंकवाद की वैश्विक चुनौती पर चर्चा के लिए आयोजित एक सम्मेलन में भाजपा नेता ने कहा कि ‘‘कुछ गुमराह” लोगों की हरकतों के कारण इस्लाम जिस अमन-चैन का संदेश देता है, उसे नुकसान पहुंच रहा है.

उन्होंने धर्म के ‘‘गलत इस्तेमाल” से लडने के लिए समाजों के बीच समन्वय की जरुरत पर जोर दिया. नकवी ने कहा, ‘‘आतंकवाद और कट्टरपंथ समूची इंसानियत और इस्लाम के सबसे बडे दुश्मन हैं. कुछ गुमराह लोगों की हरकतों से रहम, एकता, अमन-चैन, भाईचारे जैसे इस्लाम के संदेशों को नुकसान पहुंच रहा है.” मिस्र के लक्सर में धार्मिक विमर्श सुधार पर 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए नकवी ने कहा, ‘‘इमामों, धार्मिक नेताओं और अन्य विद्वानों को आतंकवाद एवं कट्टरपंथ की वैश्विक चुनौतियों के खिलाफ बडी भूमिका निभानी है.

समाज, धार्मिक नेताओं, सरकारी एजेंसियों और मीडिया के बीच समन्वय एवं संवाद जरुरी है ताकि आतंकवाद के लिए धर्म का गलत इस्तेमाल कर रहे लोगों से मुकाबला किया जा सके .” नकवी ने ट्विटर पर किए गए पोस्ट में लिखा कि जहां तक भारत की बात है, ‘‘गहरी सांस्कृतिक एवं सामाजिक एकता तथा जीवंत लोकतंत्र के कारण आतंकवाद भारत में अपनी जडें जमाने में नाकाम रहा है.” उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक विमर्श में सुधार की जरुरत है और धर्म में सुधार की कोई जरुरत नहीं है. दुनिया के मौजूदा राजनीतिक, सामाजिक एवं वैचारिक परिदृश्य में धार्मिक विमर्श में सुधार काफी अहमियत रखता है और इसे किसी धर्म को बदलने की कोशिशों के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.” इस सम्मेलन में करीब 42 देशों के इमामों, धार्मिक नेताओं, बुद्धिजीवियों एवं मंत्रियों ने शिरकत की.

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