पीएमओ ने अबू धाबी के साथ वायु सेवा करार पर चिंता जताई थी

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इसी साल भारत व अबू धाबी के बीच हुए द्विपक्षीय वायु सेवा करार (एएसए) पर चिंता जताई थी. इसमें दोनों देशों के बीच उड़ानों में साप्ताहिक सीटों की संख्या 13,700 से बढ़कर 50,000 किए जाने का प्रावधान है. दिल्ली के हरीश कुमार द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 7, 2013 4:46 PM

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इसी साल भारत व अबू धाबी के बीच हुए द्विपक्षीय वायु सेवा करार (एएसए) पर चिंता जताई थी. इसमें दोनों देशों के बीच उड़ानों में साप्ताहिक सीटों की संख्या 13,700 से बढ़कर 50,000 किए जाने का प्रावधान है.

दिल्ली के हरीश कुमार द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में पीएमओ द्वारा जारी नोट में कहा गया है, ‘‘प्रधानमंत्री कार्यालय ने कई मुद्दों पर चिंता जताई थी. इसमें लंबी दूरी की सीधी उड़ान में कमी, भारत में किसी भी हवाई अड्डे की मजबूती और भारत में विमान सेवाओं के केंद्रों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव जैसे मुद्दे शामिल हैं.’’ नोट में इस समझौते से पश्चिमी एशिया के विमान सेवा केंद्रों के आगे भारत की स्थिति कमजोर होने तथा घरेलू यातायात के प्रोत्साहन में कमी की के आसार पर भी चिंता जताई गई थी.

हालांकि, नागर विमानन तथा वाणिज्य जैसे मंत्रलयों ने इन चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया.वायु सेवा करार 24 अप्रैल को हुआ था. मंत्रिमंडल ने इसे 3 सितंबर को इसे मंजूरी दे दी. जहां नागर विमानन मंत्रलय सीधे दूसरे श्रेणी के शहरों से सृजित होने वाले विदेशी वायु परिवहन यातायात के सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा था, वहीं वाणिज्य मंत्रालय का निष्कर्ष था कि द्विपक्षीय एएसए से अबू धाबी से वित्तपोषण जुटाने में अनुकूल परिस्थितियां पैदा होंगी. इसके अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति निवेशकों का भरोसा कायम होगा.

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