नीतीश कटारा हत्‍याकांड : दोषियों को फांसी से SC का इनकार

नयी दिल्ली : नीतीश कटारा हत्या मामले के तीन दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग करने वाली दिल्ली सरकार की याचिका को आज उच्चतम न्यायालय ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मामला ‘दुर्लभ से भी दुर्लभतम’ मामले की श्रेणी में नहीं आता. इस मामले के तीन दोषियों में दो चचेरे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2015 1:39 PM

नयी दिल्ली : नीतीश कटारा हत्या मामले के तीन दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग करने वाली दिल्ली सरकार की याचिका को आज उच्चतम न्यायालय ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मामला ‘दुर्लभ से भी दुर्लभतम’ मामले की श्रेणी में नहीं आता. इस मामले के तीन दोषियों में दो चचेरे भाई विकास और विशाल यादव भी शामिल हैं.

न्यायमूर्ति जे एस खेहर और न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने कहा कि वह नीतीश की मां और शिकायतकर्ता नीलम कटारा की ओर से इस मुद्दे पर दायर की गई ऐसी ही एक याचिका को पहले खारिज कर चुकी है. अदालत ने हालांकि यह भी कहा कि उसे सुखदेव पहलवान समेत तीन दोषियों द्वारा दायर की गई याचिकाओं से जुडे ‘कुछ सवालों’ पर फैसला करने के लिए दिल्ली सरकार के वकील की मदद की जरुरत होगी.

इनमें से एक सवाल यह है कि क्या उच्च न्यायालय द्वारा यादव बंधुओं को 30 साल की सजा और पहलवान को 25 साल की सजा दिया जाना न्यायसंगत था? पीठ ने इस मामले की सुनवाई अगले साल फरवरी तक के लिए टाल दी है. पिछले माह, उच्चतम न्यायालय ने नीलम की याचिका खारिज कर दी थी. उस याचिका में नीलम ने दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की थी.

विकास (39), विशाल (37) और सुखदेव (37) मई 2008 में एक निचली अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. इन्होंने 16-17 फरवरी 2002 की रात के समय रेलवे अधिकारी के बेटे और बिजनेस एग्जीक्यूटिव नीतीश का अपहरण और उसकी हत्या कर दी थी. ये लोग दरअसल उत्तर प्रदेश के नेता डी पी यादव की बेटी भारती के साथ नीतीश के प्रेम संबंध के खिलाफ थे.

शीर्ष अदालत ने 17 अगस्त को इस मामले में विकास यादव, उसके चचेरे भाई विशाल यादव और सुखदेव पहलवान की दोषसिद्धि बरकरार रखी. निचली अदालत और दिल्ली उच्च न्यायालय के निष्कर्षों को बरकरार रखने वाली शीर्ष अदालत विकास और सुखदेव की अपील पर कोई नोटिस जारी किए बिना उच्च न्यायालय द्वारा तीन दोषियों की सजा की अवधि को बढाए जाने से जुडे सीमित पहलुओं पर गौर करने के लिए सहमत हो गई थी.

उच्च न्यायालय ने उम्रकैद की सजा को इन दोषियों के लिए नाकाफी बताया था और उसने तीन दोषियों- विकास यादव, विशाल यादव की कैद की सजा को बढाकर 30 साल का और सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की सजा को बढाकर 25 साल का कर दिया. इसमें किसी भी छूट का लाभ न देने की बात कही गई. उच्च न्यायालय ने दो अप्रैल 2014 को निचली अदालत का वह फैसला बरकरार रखा, जिसमें उसने इस अपराध को जाति व्यवस्था के ‘गहराई तक पैठ रखने वाली मान्यता’ के कारण की गई ‘ऑनर किलिंग’ करार दिया था.

Next Article

Exit mobile version