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क्या बिहार चुनाव तक ही थी देश में असहिष्णुता : RSS

जालंधर : देश में असहिष्णुता के नाम पर साहित्यकारों की पुरस्कार वापसी आंदोलन को ‘राजनीतिक आकाओं की नमक हलाली’ करार देते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने आज यहां कहा कि इन बुद्धिजीवियों के नजरिए से देखें तो ऐसा लगता है कि बिहार चुनाव तक ही देश में असहिष्णुता थी और परिणाम आने के बाद […]

जालंधर : देश में असहिष्णुता के नाम पर साहित्यकारों की पुरस्कार वापसी आंदोलन को ‘राजनीतिक आकाओं की नमक हलाली’ करार देते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने आज यहां कहा कि इन बुद्धिजीवियों के नजरिए से देखें तो ऐसा लगता है कि बिहार चुनाव तक ही देश में असहिष्णुता थी और परिणाम आने के बाद मुल्क में दोबारा सहिष्णुता वापस आ गयी है. उन्‍होंने पुरस्कार लौटाने वालों को ‘बौद्धिक आतंकवादी’ करार दिया.

जालंधर में आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने पुरस्कार वापस करने वाले साहित्यकारों को ‘बौद्धिक आतंकवादी’ करार देते हुए कहा, ‘‘बुद्धिजीवियों का एक बडा वर्ग देश में फैली असहिष्णुता के नाम पर पुरस्कार वापसी का आंदोलन चला रहा था. यह बिहार चुनाव के समय या उससे पहले शुरु हुआ जो पूरे चुनाव तक जारी रहा.”
उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत हो रहा था कि चुनाव परिणाम आने से पहले देश में हर ओर असहिष्णुता का माहौल था और चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने के बाद अचानक देश में फिर से सहिष्णुता आ गयी है क्‍योंकि साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने पुरस्कार वापस करना बंद कर दिया है.” साहित्यकारों पर कटाक्ष करते हुए इंद्रेश ने कहा, ‘‘दर असल इस कथित आंदोलन की आड में बुद्धिजीवी कहलाने वाला यह वर्ग ‘बौद्धिक राजनीतिक आतंकवादी’ बन कर अपने राजनीतिक आकाओं की नमक हलाली कर रहा था. नमक अदायगी के बाद पुरस्कार वापसी का यह अभियान भी अब बंद हो गया है.”

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