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कलबुर्गी के हत्यारे जल्द होंगे कानून के शिकंजे में : कर्नाटक सीएम

बेंगलुरु : अंधविश्वास के विरोधी तर्कवादी एम. एम. कलबुर्गी की हत्या के मामले को सुलझाने में कोई सफलता नहीं मिलने के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने आज कहा कि सरकार उनके हत्यारों को गिरफ्तार करने के लिए हर कदम उठा रही है. उनकी हत्या से राष्ट्रीय स्तर पर रोष छा गया था. सिद्धरमैया ने […]

बेंगलुरु : अंधविश्वास के विरोधी तर्कवादी एम. एम. कलबुर्गी की हत्या के मामले को सुलझाने में कोई सफलता नहीं मिलने के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने आज कहा कि सरकार उनके हत्यारों को गिरफ्तार करने के लिए हर कदम उठा रही है. उनकी हत्या से राष्ट्रीय स्तर पर रोष छा गया था. सिद्धरमैया ने कहा कि लोगों के बीच यह धारणा है कि कलबुर्गी की इसलिए हत्या कर दी गई कि वह अंधविश्वास के खिलाफ स्पष्ट विचार रखते थे. विधानसभा के शीतकालीन सत्र के प्रथम दिन मुख्यमंत्री ने उन्हें और हाल ही में मारे गए अन्य प्रमुख शख्सियतों को श्रद्धांजलि देते हुए यह कहा.

कलबुर्गी की हत्या ने कई लेखकों, कलाकारों और अन्य को हाल के हफ्तों में अपना पुरस्कार, खासतौर पर साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने के लिए प्रेरित करने का कार्य किया. ये पुरस्कार देश में बढती असहिष्णुता के खिलाफ लौटाए गए. कन्नड लेखक की दो बंदूकधारियों ने उत्तर कर्नाटक में धारवाड स्थित उनके आवास पर 30 अगस्त को हत्या कर दी थी. पर अभी तक उनके हत्यारों के बारे में कोई सुराग नहीं मिला है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार हत्यारों का पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए हर कदम उठा रही है. सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘वह हमेशा ही विवादों में घिरे रहे और अपने शोध नतीजों को लेकर दक्षिणपंथी संगठनों के साथ उनका संघर्ष चलता रहा. कलबुर्गी से जुडा सबसे बडा विवाद 1986-87 का है.

उन्होंने चेन्ना बासव के दैवीय उत्पत्ति सिद्धांत पर सवाल उठाया था, जो 12वीं सदी के दार्शनिक थे. राज्य के लिंगायत समुदाय के लोगों ने कलबुर्गी के खिलाफ प्रदर्शन किया था, जिसका नेतृत्व वरिष्ठ लेखक वृषभेन्द्र स्वामी ने किया था जो एक विश्वविद्यालय में कलबुर्गी के शिक्षक भी थे. सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘हालांकि कलबुर्गी ने विवादास्पद बयान दिया था लेकिन उनका कोई दुश्मन नहीं था.

विपक्षी नेता एवं भाजपा सदस्य जगदीश शेट्टार ने कलबुर्गी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हत्या के बाद करीब तीन महीने गुजर चुके हैं लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं मिला है और उन्होंने हत्यारों को पकडने के लिए सरकार से फौरन एक नई टीम गठित करने को कहा. उन्होंने कहा कि लेखकों के साहित्य पुरस्कार लौटाने के पीछे एक छिपा हुए एजेंडा है. इन लेखकों ने महाराष्ट्र में राकांपा, कांग्रेस शासन के दौरान पुरस्कार नहीं लौटाया जब नरेन्द्र दाभोलकर की हत्या कर दी गई थी. जदसे नेता वाईएसवी दत्ता ने कहा कि लेखकों से पुरस्कार लौटाने से रुकने के लिए कहने की बजाय यह समझ होनी चाहिए कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत में असहिष्णुता बढ रही है.

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