नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी छठव्रतियों और देशवासियों को छठ पर्व की बधाई दी है. मोदी ने ट्विट कर लिखा कि सूर्योपासना के पर्व छठ के अवसर पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं. छठ माता सभी के जीवन में सुख-समृद्धि लाएं. बिहार में छठ पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है; इसके अलावे देश के लगभग सभी हिस्सों में अब आस्था का पवित्र पर्व छठ मनाया जाता है. लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान रविवार को शुरू हो गया. अनुष्ठान के पहले दिन रविवार को छठव्रतियों ने नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व का संकल्प लेकर अनुष्ठान शुरू किया. ज्योतिषियों की मानें, तो रविवार भगवान सूर्य का दिन है और इस बार रविवार को ही छठ का अनुष्ठान शुरू हो रहा है, इससे इस बार इसका महत्व अधिक हो गया है.
सूर्योपासना के पर्व छठ के अवसर पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं। छठ माता सभी के जीवन में सुख-समृद्धि लाएं।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 17, 2015
नहाय-खाय के दिन सुबह से ही गंगा नदी पर व्रतियों की भीड़ थी. उन्होंने पहले गंगा में स्नान और फिर भगवान सूर्य की पूजा अर्चना की. इसके साथ ही गंगा जल लेकर व्रतियों ने शुद्ध होकर अनुष्ठान शुरू किया. अनुष्ठान के पहले दिन कद्दू की सब्जी और चावल खाया जाता है. ज्योतिषियों की मानें, तो कद्दू में काफी पानी होता है, इससे शरीर में पानी की मात्रा बनी होती है. नहाय-खाय के दिन व्रती घरों से लेकर बाहर तक की साफ सफाई करते हैं. इसके बाद नहा कर प्रसाद बनाती हैं और उसे ग्रहण करती हैं. इसके साथ पूजा की तैयारी भी शुरू हो जाती है.
अनुष्ठान के पहले दिन शरीर और मन से शुद्ध होने के दूसरे दिन सोमवार को तमाम व्रती खरना करेंगी. इस दिन सुबह से निर्जला व्रत रखा जाता है. दिन में पूजा की तैयारी और शाम में खरना का प्रसाद खुद व्रती ही बनाती हैं. खरना का प्रसाद नये चुल्हा पर बनाया जाता है. शाम में गोधुली बेला के बाद भगवान भास्कर की पूजा अर्चना करने के बाद पहले व्रती खुद प्रसाद ग्रहण करती हैं. इसके बाद ही परिवार के दूसरे लोगों को प्रसाद वितरण किया जाता है. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही छठ व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करती हैं.
तीसरे दिन मंगलवार को भगवान भास्कर को अर्घ देने के लिए खुद व्रती प्रसाद बनायेंगी. शाम होने से पहले तमाम व्रती गंगा नदी, तालाब, पोखर आदि जगहों पर जाकर पानी में खड़ी होती हैं. स्नान करने के बाद डूबते हुए सूर्य को अर्घ देती हैं. डूबते हुए सूर्य को अर्घ देने के बाद चौथे दिन बुधवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ दिया जायेगा. इसके साथ चार दिवसीय सूर्य उपासना का यह महापर्व समाप्त होगा.