सीबीआई के अस्तित्व मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लगायी गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले पर रोक
नयी दिल्ली : सीबीआई की स्थापना असंवैधानिक करार देने वाले गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र ने आज उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. देश के मुख्य न्यायाधीश के आवास पर इस मामले में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले […]
नयी दिल्ली : सीबीआई की स्थापना असंवैधानिक करार देने वाले गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र ने आज उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. देश के मुख्य न्यायाधीश के आवास पर इस मामले में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सीबीआई अपना काम बिना रूकावट के कर सकेगी.
केंद्र ने इसके साथ ही एक आवेदन भी दायर किया जिसमें उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया गया है कि वह उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन लगा दे और उसकी याचिका पर तुरंत सुनवाई करे. मुख्य न्यायाधीश अपने आवास पर शाम साढ़े चार बजे से सुनवाई शुरू हो गयी है.
इस बीच, नवेन्द्र कुमार की तरफ से एक कैवियट दायर किया गया है कि केंद्र की याचिका पर कोई आदेश पारित करने से पहले उच्चतम न्यायालय उनका भी पक्ष सुने. नवेंन्द्र की याचिका पर गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है.
गौहाटी उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने उस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया जिसके माध्यम से सीबीआई का गठन हुआ था और उसकी तमाम कार्रवाइयों को असंवैधानिक करार दिया.
न्यायमूर्ति आई. ए. अंसारी और न्यायमूर्ति इंदिरा शाह की खंडपीठ ने कुमार की ओर से दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें सीबीआई का गठन का आधार बने प्रस्ताव पर उच्च न्यायालय की एकल पीठ के 2007 के आदेश को चुनौती दी गई थी.अदालत ने कहा था, इसलिए हम 1/04/1963 के प्रस्ताव को रद्द करते हैं जिसके जरिए सीबीआई का गठन किया गया था. हम यह भी फैसला देते हैं कि सीबीआई न तो दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (डीएसपीई) का कोई हिस्सा है और न उसका अंग है और सीबीआई को 1946 के डीएसपीई अधिनियम के तहत गठित पुलिस बल के तौर पर नहीं लिया जा सकता.
पीठ ने कहा था, मामला दर्ज करने, किसी व्यक्ति को अपराधी के रुप में गिरफ्तार करने, जांच करने, जब्ती करने, आरोपी पर मुकदमा चलाने आदि की सीबीआई की गतिविधियां संविधान के अनुच्छेद 21 को आघात पहुंचाती हैं और इसलिए इसे असंवैधानिक मानकर रद्द किया जाता है.
गौहाटी उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि गृह मंत्रालय का उपरोक्त प्रस्ताव न तो केंद्रीय कैबिनेट का फैसला था और न ही इन शासकीय निर्देशों को राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी दी थी.
अदालत ने कहा, इसलिए संबंधित प्रस्ताव को अधिक से अधिक एक विभागीय निर्देश के रुप में लिया जा सकता है जिसे कानून नहीं कहा जा सकता. बहरहाल, गौहाटी उच्च न्यायालय ने कहा था कि सीबीआई अदालत में लंबित कार्यवाही पर आगे जांच करने के लिए पुलिस पर कोई रोक नहीं है. सीबीआई का गठन किए जाने पर अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी का गठन कुछ स्थितियों से निपटने के लिए तदर्थ उपाय के रुप में किया गया था.