सीबीआई के बारे में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले पर बंटी है कानूनी विशेषज्ञों की राय
नयी दिल्ली: सीबीआई को ‘असंवैधानिक’ संगठन करार देने के गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले पर कानूनी विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है. कुछ विशेषज्ञ अदालत के आदेश से सहमत हैं जबकि बाकी कहते हैं कि इसका असर बहुत बुरा होगा. उच्च न्यायालय के दो पूर्व न्यायाधीश मुकुल मुद्गल और आर एस सोढ़ी का कहना है […]
नयी दिल्ली: सीबीआई को ‘असंवैधानिक’ संगठन करार देने के गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले पर कानूनी विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है. कुछ विशेषज्ञ अदालत के आदेश से सहमत हैं जबकि बाकी कहते हैं कि इसका असर बहुत बुरा होगा.
उच्च न्यायालय के दो पूर्व न्यायाधीश मुकुल मुद्गल और आर एस सोढ़ी का कहना है किगुवाहाटीउच्च न्यायालय का आदेश सही लग रहा है और उस प्रस्ताव को खारिज कर अदालत ने गलत नहीं किया है जिसके तहत सीबीआई का गठन किया गया था. बहरहाल, मुद्गल का मानना है कि सीबीआई दशकों से अपना काम कर रही है और ऐसे में इस फैसले को बुद्धिमानी भरा नहीं कहा जा सकता.
उन्होंने कहा कि अदालत को कुछ वक्त देना चाहिए था ताकि फैसले को अमल में लाया जा सके.वरिष्ठ वकील के टी एस तुलसी और मुकुल रोहतगी जैसे कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि जब तक उच्चतम न्यायालय इस आदेश पर रोक नहीं लगा देता, सीबीआई नए मामले दर्ज करने की स्थिति में नहीं होगी और वह तब तक कोई गिरफ्तारी भी नहीं कर पाएगी और ऐसे में सभी लंबित मामले ‘अवैध’ हो जाएंगे.
एक अन्य वरिष्ठ वकील ने तो यह भी कहा कि सीबीआई की स्थापना के बाद से एजेंसी ने जितने मामलों की जांच की और उनमें जिन लोगों को दोषी करार दिया गया, वे फैसले ‘अमान्य’ हो जाएंगे.