सार्क देश तय करें वो तनाव में रहना चाहते है या शांति में : प्रणब मुखर्जी

नयी दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि भारत और अन्य दक्षेस देशों को फैसला करना चाहिए कि क्या वे स्थायी तनाव में रहना चाहते हैं या पूर्व के विभाजनों को पीछे छोडकर शांति और सौहार्द के वातावरण में विकास करना चाहते हैं.किसी भी देश का नाम लिए बिना मुखर्जी ने यूरोपीय संघ का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2015 9:08 PM

नयी दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि भारत और अन्य दक्षेस देशों को फैसला करना चाहिए कि क्या वे स्थायी तनाव में रहना चाहते हैं या पूर्व के विभाजनों को पीछे छोडकर शांति और सौहार्द के वातावरण में विकास करना चाहते हैं.किसी भी देश का नाम लिए बिना मुखर्जी ने यूरोपीय संघ का हवाला दिया और कहा कि यूरोप की शक्तिशाली ताकतें सदियों युद्ध में शामिल रहीं लेकिन एक साझा यूनियन, संसद और मुद्रा के लिए एक साथ आईं.

बांग्लादेश के गठन के बारे में धारणा और भारत-बांग्लादेश संबंधों पर कैवलरी ऑफिसर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित अश्वसेना स्मृति व्याख्यान में उन्होंने 1985 में शांति और खुशहाली के लिए क्षेत्रीय सहयोग को प्रगाढ करने के लिए आठ सदस्य देशों द्वारा दक्षेस के गठन का उल्लेख किया.
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 30 वर्षों में हमने कई तंत्र और संस्थाएं यूरोपीय संघ के मॉडल पर बनाई हैं. हालांकि, यह व्यापक तौर पर स्वीकृत है कि दक्षेस की पूर्ण क्षमताओं को साकार किया जाना बाकी है.” उन्होंने कहा, ‘‘जैसा मैंने अक्सर कहा है कि हम अपने मित्र बदल सकते हैं लेकिन अपने पडोसी नहीं बदल सकते.
इसपर हमें फैसला करना है कि क्या हम स्थायी तनाव की स्थिति में रहना चाहते हैं या शांति और सौहार्द के माहौल में एक साथ विकास करना चाहते हैं. हमें अपने अतीत के बंटवारे को पीछे छोडकर साझा भविष्य की ओर देखना चाहिए.’ यूरोप से सबक लेने का संकेत देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इंटरनेट और मोबाइल फोन यूरोप में सभी देशों के साथ आने के बाद शांति लाभांश हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘यह देखा जा सकता है कि संघर्ष को समाप्त करने और शांति स्थापित करने से देशों का काफी कायाकल्प होता है

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