राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दी इंदिरा गांधी की जयंती पर श्रद्धांजलि

नयी दिल्‍ली : राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शक्ति स्‍थल पर जाकर पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस की पूर्व अध्‍यक्ष इंदिरा गांधी को उनकी जयंति पर श्रद्धासुमन अर्पित किये. इस अवसर पर उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी ने भी गांधी को श्रद्धां‍जलि दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विट कर पूर्व प्रधानमंत्री गांधी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी. इसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2015 9:08 AM

नयी दिल्‍ली : राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शक्ति स्‍थल पर जाकर पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस की पूर्व अध्‍यक्ष इंदिरा गांधी को उनकी जयंति पर श्रद्धासुमन अर्पित किये. इस अवसर पर उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी ने भी गांधी को श्रद्धां‍जलि दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विट कर पूर्व प्रधानमंत्री गांधी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने भी इंदिरा गांधी को श्रद्धां‍जलि दी. पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने भी शक्ति स्‍थल पर जाकर इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि दी. इंदिरा गांधी का जन्‍म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में हुआ था. वह भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं.

इंदिरा गांधी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की पुत्री थी. फिरोज गांधी से शादी होने के बाद उनका उपनाम गांधी हुआ. 1934–35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, इन्दिरा ने शान्तिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व-भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया. रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे ‘प्रियदर्शिनी’ नाम दिया था. इसके पश्चात यह इंग्लैंड चली गयीं और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में बैठीं, परन्तु यह उसमे विफल रहीं और ब्रिस्टल के बैडमिंटन स्कूल में कुछ महीने बिताने के पश्चात, 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इन्होने सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया.

इसी दौरान उन्‍होंने फिरोज गांधी से प्रेम विवाह किया. 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं. 1950 के दशक में वे अपने पिता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं. अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एक राज्यसभा सदस्य के रूप में हुई. इसके बाद वे लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में इंदिरा गांधी सूचना और प्रसारण मंत्री बनीं. लालबहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद तत्कालीन इंदिरा को कांग्रेस पार्टी का अध्‍यक्ष बनाया गया. यह फैसला उनके प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक रहा.

गांधी ने शीघ्र ही चुनाव जीतने के साथ-साथ लोकप्रियता के माध्‍यम से विरोधियों पर हावी रहने का काम किया. वह अधिक बामवर्गी आर्थिक नीतियाँ लायीं और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा दिया. 1971 के भारत-पाक युद्ध में एक निर्णायक जीत के बाद की अवधि में अस्थिरता की स्थिती में उन्होंने सन् 1975 में आपातकाल लागू किया. उन्होंने एवं काँग्रेस पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में पहली बार हार का सामना किया. सन् 1980 में सत्ता में लौटने के बाद वह अधिकतर पंजाब के अलगाववादियों के साथ बढ़ते हुए द्वंद्व में उलझी रहीं जिसमे आगे चलकर सन् 1984 में अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी राजनैतिक हत्या हुई.

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