सुषमा के पाकिस्तान दौरे, अभी तक नहीं हो पाया फैसला
नयी दिल्ली: भारत ने आज आधिकारिक तौर पर कहा कि पाकिस्तान में आयोजित होने वाले ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शिरकत करेंगी कि नहीं, इस पर अब तक फैसला नहीं किया गया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने पुष्टि की कि अफगानिस्तान के विषय पर होने वाले ‘हार्ट ऑफ […]
नयी दिल्ली: भारत ने आज आधिकारिक तौर पर कहा कि पाकिस्तान में आयोजित होने वाले ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शिरकत करेंगी कि नहीं, इस पर अब तक फैसला नहीं किया गया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने पुष्टि की कि अफगानिस्तान के विषय पर होने वाले ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन के लिए भारतीय विदेश मंत्री को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया जा चुका है. यह सम्मेलन सात और आठ दिसंबर को इस्लामाबाद में होगा. स्वरुप ने कहा, ‘‘हमने अपनी भागीदारी के स्तर पर अभी फैसला नहीं किया है.
‘ पाकिस्तान के आमंत्रण के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं पर विचार किया जा रहा है. एक नजरिया यह है कि अफगानिस्तान में भारत के सामरिक हितों को देखते हुए सुषमा को सम्मेलन में शिरकत करनी चाहिए और मंत्री स्तरीय सम्मेलन में निम्न-स्तरीय भागीदारी अच्छी नहीं होगी.बहरहाल, दूसरा नजरिया यह है कि सुषमा की यात्रा से पाकिस्तान से पैदा होने वाले आतंक के मुद्दे पर भारत की चिंताएं कमजोर पडेंगी और उन्हें अपने पाकिस्तानी समकक्ष सरताज अजीज से द्विपक्षीय मुलाकात करनी पड सकती है जबकि भारत अपने इस पडोसी देश के साथ इस तरह बातचीत नहीं करना चाहता.
स्वरुप ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच उफा में बनी सहमति के आधार पर प्रक्रिया की शुरुआत के लिए काफी इच्छुक है. उफा समझौते के तहत आतंकवाद से जुडे सभी मुद्दों पर दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच अगली बैठक होनी चाहिए. भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित के कल के बयान के बारे में पूछने पर स्वरुप ने कहा कि उनकी टिप्पणियों में कुछ भी नया नहीं है. बासित ने कल कहा था कि एकपक्षीयता और पूर्वशर्तें संबंधों में गतिरोध बनाए रखने का नुस्खा है और ‘‘कश्मीरियों की आकांक्षा की न तो अनदेखी की जा सकती है, न ही उन्हें दबाया जा सकता है