दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त ने कहा, दाऊद को वापस लाना आसान नहीं

मुम्बई: दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त नीरज कुमार ने आज यहां कहा कि भगोडे सरगना दाऊद इब्राहिम को वापस लाना आसान नहीं क्योंकि उसे ‘‘दुश्मन देश’ का संरक्षण मिला हुआ है.कुमार ने यह भी कहा कि हाल में दाऊद के धुर प्रतिद्वंद्वी छोटा राजन की गिरफ्तारी से इस संबंध में अधिक मदद मिलने की उम्मीद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2015 8:11 AM

मुम्बई: दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त नीरज कुमार ने आज यहां कहा कि भगोडे सरगना दाऊद इब्राहिम को वापस लाना आसान नहीं क्योंकि उसे ‘‘दुश्मन देश’ का संरक्षण मिला हुआ है.कुमार ने यह भी कहा कि हाल में दाऊद के धुर प्रतिद्वंद्वी छोटा राजन की गिरफ्तारी से इस संबंध में अधिक मदद मिलने की उम्मीद नहीं है.

कुमार ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिये बिना, जहां उसके छुपे होने का संदेह है, कहा, ‘‘हम यह नहीं कह सकते कि ऐसा :पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी की मदद की वजह से: आईएसआई या देश (भारत) की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते है. यदि वह अभी भी हमारे चंगुल से बाहर है तो इसलिए कि वह दुश्मन देश के संरक्षण में है. ऐसे में भगोडे डॉन को वापस लाना आसान काम नहीं है.’ कुमार की पुस्तक ‘डायल डी फार डॉन’ का यहां विमोचन मुम्बई पुलिस के पूर्व आयुक्तों जूलियो रिबेरो और सतीश साहनी एवं वरिष्ठ पत्रकार हुसैन जैदी की मौजूदगी में हुआ.
कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने दाऊदको वापस लाने के लिए सभी संभव प्रयास किये हैं और एक दिन उसे सफलता मिलेगी.यह पुस्तक इसलिए सुर्खियों में हैं क्योंकि कुमार ने यह खुलासा किया है कि 1990 के दशक के दौरान एक बार दाऊद आत्मसमर्पण करना चाहता था.उन्होंने कहा, ‘‘1994 में मैंने दाऊदसे तीन बार फोन पर बात की जब मैं सीबीआई में 1993 मुम्बई श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों की जांच कर रहा था और एक बार बात 2013 में दिल्ली में मेरे आयुक्त के तौर पर कार्यकाल के अंतिम दिनों में बात हुई थी.1976 बैच के आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘‘मैं इसे लेकर आश्वस्त नहीं था कि फोन पर जिससे मेरी बात हो रही थी वह दाऊदइब्राहिम ही था लेकिन मेरे भीतर इस बात की मजबूत भावना थी कि वह वही था’
कुमार ने कहा कि उन्होंने भगोडे सरगना से बात करने की पहल इसलिए की क्योंकि :दाऊदका सहयोगी: मनीष लाला ने उन्हें सूचना दी थी कि दाऊदविस्फोट मामले में अपना रुख स्पष्ट करना चाहता है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह दावा नहीं करता कि मैंने दाऊदको पकड लिया होता या यदि मेरे सुराग का बेहतर इस्तेमाल किया गया होता तब हमने उसे पकड लिया होता। मुझे मामले में एक सुराग मिला और मैंने एक पुलिस जांच अधिकारी की तरह उस पर काम किया.’ इस सवाल पर कि क्या हाल में छोटा राजन की गिरफ्तारी से दाऊदको वापस लाने में सफलता मिलेगी, कुमार ने कहा कि हमें बहुत अधिक उम्मीद नहीं करनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर छोटा राजन अंडरवर्ल्ड की सूचना का खजाना है लेकिन यह (सूचना) सब ऐतिहासिक, 1993 से पहले की है. वे फरार चल रहे थे और एकदूसरे से छुप रहे थे। इसलिए मैं नहीं मानता कि राजन के पास दाऊदको पकडने के लिए कोई ठोस सूचना होगी.’ कुमार ने यह भी स्वीकार किया कि मुम्बई पुलिस में उनके सहयोगियों और हुसैन जैदी :पुस्तक के सह प्रकाशक: ने उन्हें अहम सूचनाएं दीं.
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हिंदी फिल्मों और धारावाहिकों के लिए पटकथाएं लिखी हैं. मैं लेखन की दुनिया में कोई नया नहीं हूं. मुझे पता है कि घटनाक्रमों को रोचक बनाने के लिए उनका क्रम कैसे बनाना है.’ उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में मेमन परिवार :जिसके कई सदस्य 1993 विस्फोटों में संलिप्त थे: का अध्याय उनका सबसे पसंदीदा है क्योंकि उसमें काफी मानवीय तत्व हैं

Next Article

Exit mobile version