नयी दिल्ली : खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस भारत समेत दक्षिण एशियाई मुस्लिमों को इराक और सीरिया के संघर्ष क्षेत्र में लड़ने के लायक नहीं समझता है और अरब के लड़ाकों की तुलना में कमजोर मानता है. हालांकि प्राय: उनको बहला-फुसलाकर आत्मघाती हमले के लिए उकसाया जाता है. विदेशी एजेंसियों द्वारा तैयार की गयी और भारतीय एजेंसियों के साथ साझा की गयी एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश के साथ नाइजीरिया और सूडान के लड़ाकों को अरब के लड़ाकों की तुलना में कमजोर समझा जाता है.
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भारतीयों को अच्छा लड़ाका नहीं मानता है आईएसआईएस
नयी दिल्ली : खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस भारत समेत दक्षिण एशियाई मुस्लिमों को इराक और सीरिया के संघर्ष क्षेत्र में लड़ने के लायक नहीं समझता है और अरब के लड़ाकों की तुलना में कमजोर मानता है. हालांकि प्राय: उनको बहला-फुसलाकर आत्मघाती हमले के लिए उकसाया जाता है. विदेशी एजेंसियों द्वारा तैयार की गयी और भारतीय […]
वहां भी एक स्पष्ट ढांचा है जिसके तहत अरब के लड़ाकों को अधिकारी का दर्जा दिया जाता है और उनको बेहतर हथियार, गोला-बारुद, उपकरण, रहने की सुविधा और तनख्वाह दी जाती है.
रिपोर्ट के मुताबिक ‘‘दक्षिण एशिया के लडाकों को छोटे बैरकों में समूहों में रखा जाता है. उन्हें कम राशि दी जाती है और कमतर हथियार उपलब्ध कराये जाते हैं.” खुफिया रिपोर्टों के अनुसार कथित कमतर लड़ाकों को कई बार बहला-फुसलाकर आत्मघाती हमले के लिए उकासाया जाता है.
आम तौर पर उनको विस्फोटकों से भरा एक वाहन दिया जाता है और एक लक्षित जगह पर जाने के लिए एवं एक खास नंबर पर फोन करने के लिए कहा जाता है ताकि मिशन से जुड़ा हुआ कोई व्यक्ति उनके पास आये और मिशन के बारे में उनको बताये. हालांकि जैसे ही खास नंबर को डायल किया जाता है वैसे ही पहले से तय तंत्र के कारण वाहन में विस्फोट हो जाता है.
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