सुप्रीम कोर्ट ने कहा, गैर जमानती अपराध में तुरंत हो एफआईआर

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि संज्ञेय अपराधों के मामले में एफआईआर दर्ज किया जाना जरुरी है और इस प्रकार के अपराधों में मामला दर्ज नहीं करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवश्य कार्रवाई की जानी चाहिए. प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा, हम मानते हैं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2013 11:11 AM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि संज्ञेय अपराधों के मामले में एफआईआर दर्ज किया जाना जरुरी है और इस प्रकार के अपराधों में मामला दर्ज नहीं करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवश्य कार्रवाई की जानी चाहिए.

प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा, हम मानते हैं कि एफआईआर दर्ज किया जाना अनिवार्य है और संज्ञेय अपराधों में किसी प्राथमिक जांच की अनुमति नहीं है.

न्यायाधीश बी एस चौहान, न्यायाधीश रंजन पी देसाई, न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश एस ए बोब्दे की पीठ ने कहा कि संज्ञेय अपराधों के मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं करने के लिए दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई अवश्य की जानी चाहिए.

पीठ ने कहा, पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज करने से नहीं बच सकते और यदि एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो उनके खिलाफ अवश्य कार्रवाई होनी चाहिए. पीठ ने कहा कि अन्य मामलों में यह पता लगाने के लिए प्रारंभिक जांच की जा सकती है कि वह संज्ञेय अपराध है या नहीं और इस प्रकार की जांच सात दिन के भीतर पूरी हो जानी चाहिए.

पीठ ने कहा कि कानून में कोई अस्पष्टता नहीं है और कानून की मंशा संज्ञेय अपराधों में अनिवार्य एफआईआर पंजीकरण की है. संवैधानिक पीठ ने तीन जजों की पीठ द्वारा मामले को वृहतर पीठ के पास भेजे जाने के बाद यह फैसला दिया गया. तीन जजों की पीठ ने इस आधार पर मामले को वृहतर पीठ के पास भेजा था कि इस मुद्दे पर विरोधाभासी फैसले हैं.

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