पत्नी ने देश छोडने का दिया सुझाव : आमिर खान

नयी दिल्ली : बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान बढती असहिष्णुता के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रबुद्ध वर्ग में शामिल हो गये और कहा कि कई घटनाओं ने उन्हें ‘चिंतित’ किया है और उनकी पत्नी किरण राव ने यहां तक सुझाव दे दिया कि उन्हें संभवत: देश छोड देना चाहिए. खान ने वस्तुत: उन लोगों का समर्थन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2015 9:57 PM

नयी दिल्ली : बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान बढती असहिष्णुता के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रबुद्ध वर्ग में शामिल हो गये और कहा कि कई घटनाओं ने उन्हें ‘चिंतित’ किया है और उनकी पत्नी किरण राव ने यहां तक सुझाव दे दिया कि उन्हें संभवत: देश छोड देना चाहिए. खान ने वस्तुत: उन लोगों का समर्थन किया जो अपने पुरस्कार लौटा रहे हैं और कहा कि रचनात्मक लोगों के लिए उनका पुरस्कार लौटाना अपना असंतोष या निराशा व्यक्त करने के तरीकों में से एक है. उन्होंने यहां पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में कहा, ‘एक व्यक्ति के तौर पर, एक नागरिक के रूप में इस देश के हिस्से के तौर पर हम समाचार पत्रों में पढते हैं कि क्या हो रहा है, हम इसे समाचारों में देखते हैं और निश्चित तौर पर मैं चिंतित हुआ हूं. मैं इससे इनकार नहीं कर सकता. मैं कई घटनाओं से चिंतित हुआ हूं.’

जेम्स बांड की फिल्म पर चली सेंसर बोर्ड की कैंची के बारे में सवालों पर आमिर ने कहा कि हाल-फिलहाल में सेंसर बोर्ड थोडा आक्रामक हुआ है. इस पूरे मामले में उनका कहना है, ‘यदि फिल्म को वयस्क प्रमाणपत्र मिल गया है, तो उसमें आप लगभग सबकुछ दिखा सकते हैं, क्योंकि कोई भी वयस्क तय कर सकता है कि उसे फिल्म देखनी है या नहीं. प्रमाणपत्र के बाद सेंसरशिप की जरुरत नहीं है. प्रमाणपत्र की हमारी समझ यही है.’ अभिनेता ने कहा कि वह महसूस करते हैं कि पिछले छह से आठ महीने में असुरक्षा और भय की भावना बढी है.

उन्होंने कहा, ‘मैं जब घर पर किरण के साथ बात करता हूं, वह कहती हैं कि ‘क्या हमें भारत से बाहर चले जाना चाहिए?’ किरण का यह बयान देना एक दुखद एवं बडा बयान है. उन्हें अपने बच्चे की चिंता है. उन्हें भय है कि हमारे आसपास कैसा माहौल होगा. उन्हें प्रतिदिन समाचारपत्र खोलने में डर लगता है.’ 50 वर्षीय आमिर ने कहा, ‘यह बेचैनी बढने की भावना का संकेत है, चिंता के अलावा निराशा बढ रही है. आप महसूस करते हैं कि यह क्यों हो रहा है, आप कमजोर महसूस करते हैं. मेरे भीतर यही भावना है.’ उन्होंने कहा कि किसी भी समाज के लिए सुरक्षा की भावना और न्याय की भावना होनी जरुरी है.

उन्होंने राजनीतिज्ञों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘…जो लोग हमारे चुने हुए प्रतिनिधि हैं, जिन लोगों को हमने राज्य या केंद्र में पांच वर्ष तक हमारी देखभाल करने के लिए चुना, जब लोग कानून अपने हाथों में लेते हैं, हम कडा रुख अपनाने, एक कडा बयान देने, कानूनी प्रक्रिया तेज करने के लिए उनकी ओर देखते हैं, जब हम देखते हैं कि कुछ हो रहा है हमारे भीतर एक सुरक्षा की भावना आती है लेकिन जब हम कुछ होते हुए नहीं देखते तब हमारे भीतर एक असुरक्षा की भावना आती है.’

उन्होंने वैज्ञानिकों, लेखकों और फिल्मनिर्माताओं द्वारा अपने पुरस्कार लौटाने और बढती असहिष्णुता के माहौल के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के कदमों का समर्थन करते हुए कहा कि रचनात्मक लोगों के लिए वह बात उठानी जरुरी है जो वे महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘बडी संख्या में रचनात्मक लोगों – इतिहासकार, वैज्ञानिक के भीतर कुछ भावना है जिसके बारे में वे मानते हैं कि उसे व्यक्त करने की जरुरत है. रचनात्मक लोगों के लिए अपना असंतोष या निराशा व्यक्त करने का एक तरीका अपने पुरस्कार लौटाना है. मेरा मानना है कि यह अपनी बात रखने के तरीकों में से एक है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह लोगों के विरोधों का समर्थन करते हैं, आमिर ने कहा कि वह तब तक समर्थन करेंगे जब तक वह अहिंसक रहेगा क्योंकि ‘सभी व्यक्तियों को विरोध करने का अधिकार है और वे ऐसे किसी भी तरीके से विरोध कर सकते हैं जिसे वे सही मानते हैं जब तक वे कानून को अपने हाथों में नहीं ले रहे हैं.’अभिनेता से जब पेरिस हमले और आईएसआईएस पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर हिंसा निंदनीय है.

आमिर ने कहा, ‘मैं इन चीजों के बारे में सोचता हूं. मुझे नहीं लगता कि वह इस्लामिक कदम था. एक व्यक्ति कुरान लेकर लोगों की हत्याएं कर रहा है, उसे लगता होगा कि वह इस्लामिक कदम उठा रहा है, लेकिन मुसलमान होने के नाते मुझे लगता है कि वह जो कर रहा है वह इस्लामिक नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए स्पष्ट है, एक व्यक्ति जो मासूमों की हत्या कर रहा है, मुसलमान नहीं है. जहां तक मेरा सवाल है, वह मुसलमान नहीं है. वह मुसलमान होने का दावा कर सकता है, लेकिन हमें उसे मुसलमान नहीं मानना चाहिए. वह आतंकवादी है और उसे आतंकवादी के रूप में ही पहचानना चाहिए. मेरी समस्या सिर्फ आईएसआईएस से नहीं बल्कि उस तरह की सोच से है.’

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