सिंगापुर में प्रधानमंत्री ने कहा, हम मिलजुलकर रहने वाले लोग, पढ़े पूरा भाषण

सिंगापुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंगापुर के दौरे पर हैं आज उन्होंने यहां भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने संबोधन की शुरूआत में ही कहा कि मैंने पहले भी यहां के लोगों से मुलाकात की है लेकिन आज का नजारा ही कुछ और है. भारत में बैठे लोग यह सोच भी नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 24, 2015 6:13 PM

सिंगापुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंगापुर के दौरे पर हैं आज उन्होंने यहां भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने संबोधन की शुरूआत में ही कहा कि मैंने पहले भी यहां के लोगों से मुलाकात की है लेकिन आज का नजारा ही कुछ और है. भारत में बैठे लोग यह सोच भी नहीं सकते की सिंगापुर का मुड क्या है. आज पूरे विश्व में भारत की जो छवि बनी है.

उसका कारण मोदी नहीं है इसका कारण आप है. आप जैसे लोग जो विदेशों में रहते हैं उन्होंने भारत का मान बढ़ाया है. आप सभी लोग यहां इतने घुल मिल गये. पूरा विश्व भारत को उम्मीद की नजर से देख रहा है. भारत में जब पारसी समुदाय के लोग आये तो गुजरात के राजा ने उन्हें दुध का ग्लास भेजा तो पारसी समुदाय के लोगों ने उसमें चीनी मिला दी और संदेश दिया कि भरे हुए दुध के ग्लास में जगह ना होने के बाद भी चीनी मिल गयी वैसे हम भी मिल जायेंगे और मिठास भर देंगे.

पूरी दुनिया एक परिवार

प्रधानमंत्री ने कहा, हिंदुस्तानी जहां भी गये अपने व्यवहार के कारण वहां के जीवन के साथ घुल मिल गया. हम जहां भी गये अपनेपन के साथ गये लोगों को गले लगाकर रहे. हमारे बुरे दिन में भी किसी ने अमानित नहीं किया. क्योंकि सदियों से लोग प्यार और अपनापन मूल मंत्र लेकर थे. ‘वसुधैव कुटूंबकम’ पूरी दुनिया एक परिवार है उसे जी कर दिखाया उसी कारण आज पूरे भारत में आशंका का माहौल नहीं होता.

एक छोटा सा मछुआरों का गांव विश्व की बराबरी कर रहा है. ली कुआन यू ने यह कर दिखाया ऐसे महापुरुषों से प्रेरणा मिलती है विश्वास पैदा होता है. सिंगापुर एक उदाहरण है कि पचास साल के कार्यकाल देश को कहां से कहां पहुंचाया जा सकता है. भारत महान देश है आबादी में बड़ा है फिर भी सिंगापुर से बहुत कुछ सिखना भी है.

स्वच्छता पर जोर

प्रधानमंत्री ने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए एक बार फिर स्वच्छता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, हम स्वच्छता को लेकर ऐसे अभियान क्यों नहीं चला सकते. महात्मा गांधी ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर मुझे आजादी और स्वच्छता में किसी को प्राथमिकता देनी है तो पहले स्वच्छता को दूंगा. लेकिन अब भारत में सबको यह लग रहा है कि मेरा देश ऐसा नहीं होना चाहिए. अब सवा सौ करोड़ देशवासियों ने बदलने का मन बना लिया है. ‘कोई देश न सरकारों से बनते हैं ना सरकारों से बढ़ते हैं, देश बढ़ते हैं जन-जन की इच्छा शक्ति है. पीढ़ियां खप जाती है तब एक राष्ट्र का निर्माण होता है’. अब भारतीय को लगने लगा है कि देश को आगे बढ़ायेंगे.

बदल रहा है भारतीयों का स्वभाव

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमारा स्वभाव ऐसा है कि एक बार अगर कोई खाली सीट मिल जाए तो उसमें समान रख देते हैं, लेकिन जब उस पर कोई बैठने आ जाता है तो मन खट्टा हो जाता है. लेकिन अब मेरे देश के लोगो का स्वभाव बदल रहा है. मैंने एक छोटी सी बात कही थी कि अगर आपमें सामर्थ्‍य है तो गैस की सब्सिडी छोड़ दें, तो देश ने छोड़ दी. लगभग 40 लाख लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी. सीट ना छोड़ने वाले लोग त्याग कर रहे हैं. मेरे जैसे सामान्य आदमी के कहने से लोग मान गये.

प्रधानमंत्री ने कहा, इन सब बातों से मेरा विश्वास बढ़ता है. अब हिंदुस्तान विवेकानंद के सपने को पूरा करने के लिए संकल्प कर चुका है. जितनी विविधताएं, जितनी विशेषताएं, जितने किंतू परंतु हिंदुस्तान में उतने ही सिंगापुर में है. उसके बावजूद भी हर कोई सिंगापुर बनाने में लगा हुआ है. हर कोई कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहा है. हमें भी यहां से बहुत कुछ सिखना चाहिए.

विदेश नीति की चर्चा

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव के दिनों को याद करते हुए कहा कि मुझे उस दौरान पत्रकारों ने पूछा था कि विदेश नीति क्या होगी. पत्रकारों को लगता था कि एक छोटे राज्य का मुख्यमंत्री है, अनजान है, उसकी यह कमी है. मुझे घुमा फिरा कर इसी में ले आते थे कि आपकी विदेश नीति क्या होगी. उन्हें लगता था कि मोदी इसमें कमजोर है. मैंने उसी वक्त कहा था कि ना तो हम आंख झुकाकर बात करेंगे और न ही आंख दिखाकर बात करेंगे बल्कि आंख मिलाकर बात करेंगे.

आज 18 महीने के बाद मैं आपको कह सकता हूं कि हम बराबरी से बात करते हैं. पूरा विश्व हमारे साथ बराबरी की बात कर रहा है. पूरा विश्व यह समझने लगा है कि सवा सौ करोड़ देशवासियों की ताकत क्या है. अब विश्व यह नहीं सोचता कि यह बहुत बड़ा बाजार है. अब साझेदारी की बात सोचता है.

एफडीआई (फस्ट डेवेलप इंडिया)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर कोई बीमार है तो विदेश से दवा मिलेगी तो आप लेेंगे की नहीं. लोग एफडीआई को जिस तरह से देखते हैं मैं उसे दूसरी तरफ से देखता हूं यह फोरन डायरेक्ट निवेश तो है लेकिन मेरी नजर में यह फस्ट डेवेलप इंडिया है. हमें विदेश से मदद मिल रही है. हमारे यहां रेलवे का बड़ा नेटवर्क है. हमारे यहां रेलवे के डिब्बे में उतने लोग होते हैं जितना कई देश की जनसंख्या है. लेकिन समय के साथ रेलवे में सुधार आना चाहिए. अगर दुनिया के पास तकनीक है, हमें लेना चाहिए. विश्व भर के लोगों से कहा है कि अगर आपके पास तकनीक है तो लाइये औऱ 100 प्रतिशत विदेशी निवेश के लिए खोल दिया है.

भारत के पैसे की इज्जत बढ़नी चाहिए

प्रधानमंत्री ने निवेश और आर्थिक मजबूती का जिक्र करते हुए कहा,पहली बार लंदन के स्टोक एक्सचेंज में रूपी बोंड के लिए आगे बढ़े हैं. अब दुनिया का कोई भी व्यक्ति रूपी में निवेश कर सकता था. पहले गोल्ड ,डॉलर या पाऊंड चलता था अब रूपये के रूप में हम भी इंटर कर रहे हैं. इसका कारण है कि पूरे विश्व में एक विश्वास पैदा हुआ है. अभी तक कई लोगों को यह पल्ले ही नहीं पड़ा कि यह करके क्या आया है. अब आज में समझा रहा हूं तो चर्चा शुरू होगी. रूपी बॉंड अपने आप में एक बड़ा मिशाल है.

रक्षा क्षेत्र की चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा क्षेत्र में निवेश और निर्माण पर भी जोर दिया. सवा सौ करोड़ के देशवासियों के लिए सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए. सेना के जवानों को शक्तिशाली औजारों से संपन्न बनाना होगा. क्या हम हर चीज बाहर से लायेंगे. आपको हैरानी होगी कि पुलिस वालों के पास आंसु गैस होता है. हम रोने के लिए भी चीजें बाहर से लाते हैं. अब रोना है कि हंसना है मुझे समझ नहीं आता, यह स्थिति बदलनी चाहिए.

भारत का ज्यादा से ज्यादा धन रक्षा क्षेत्र में खर्च होता है. हमारे रक्षा के सामान हमारे देश में ही क्यों नहीं बनने चाहिए. हमने बिड़ा उठाया है कि हर रक्षा क्षेत्र में मजबूत होेंगे. हमने निवेशकों से कहा है कि अगर आप तकनीक के साथ आयेंगे तो हम 100 प्रतिशत निवेश देंगे. एक समय ऐसा था कि रक्षा क्षेत्र में कुछ खरीदें तो भ्रष्टाचार के आरोप लग जाते थे. हमने रक्षा क्षेत्र के लिए कई काम किये लेकिन अबतक एक अंगुली नहीं उठी.

भारत जवान देशों में

स्कील डेवलेपमेंट पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 साल के कम उम्र है. जो देश जवानी से लबालब भरा हो उसके इरादे, संकल्प और पुरुषार्थ भी जवान होता है. लेकिन यह ताकत में तब बदलेगा जब नौजवानों के हाथों में हुनर होगा, रोजगार के अवसर होगा. अगर नहीं होगा तो 35 साल से कम उम्र का नौजवान भी इंतजार नहीं कर सकता.

इसलिए हमने स्कील डेवेलमेंट का अभियान चलाया हम जर्मनी, यूके , सिंगापुर जैसे देशों के साथ काम कर रहे है. हम बहुत तेजी से आगे निकल रहे हैं. विश्व के साथ जब हम संबंध जोड़ते हैं तो यह ताकत काम आती है. हमारे यहां विश्वविद्यालय खुलते हैं लेकिन शिक्षक नहीं मिलते. मैने दुनिया भर के लोगों के साथ भारतीयों से कहा कि जब आपके देश में ठंड ज्यादा हो तो हमारे यहां आकर बच्चों को पढ़ाइये. कई लोग इसके लिए आये और बच्चों को पढ़ाया.

24 घंटे बिजली की कोशिश

प्रधानमंत्री ने गांव में बिजली की चर्चा करते हुए कहा, आप सभी लोग जो यहां बैठे हैं उनमें से कई लोगों को याद होगा कि उनके घर में गांव में बिजली नहीं होती होगी. आजादी के इतने सालों के बाद भी बिजली मिलनी चाहिए. हमने बिड़ा उठाया है कि 2022 तक सभी गांव के सभी घरों में बिजली मिले. यह हमारा लक्ष्य है.

अब पूरी दुनिया पर्यावरण को लेकर चिंतित है. हमने पेड़ में भी भगवान देखा है. भारत ने कभी मेगा वाट से आगे बिजली के बारे में सोचा नहीं लेकिन हमने 175 गिगावाट का सपना देखा है.हमारे यहां हर मां यह बताती है कि चंदा तेरा मामा है सुरज तेरा दादा है लेकिन हम सौर उर्जा पर जोर क्यों नहीं दे सकते है.

विदेशों से जीवंत रिश्ते जरूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेशों से रिश्ते पर चर्चा करते हुए कहा हमने कई देशों से फंसे लोगों को बाहर निकाला है. हमने यमन में लोगों को कहा कि आप निकलो हालात ठीक नहीं है लेकिन वो निकलने को तैयार नहीं थे. लेकिन अंत में हमने कई देशों के साथ बात की. लोगों को निकाला केरल की बहनों को निकाला.

इराक हो यमन हो लीबिया हो हमने लोगों को वहां से निकाला. 21 जून को पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस मना रहा था किस भारतीय को इससे गर्व नहीं होगा. हमने सबको कहा नाक पकड़ो सबने पकड़ ली. हमने किसी को कान पकड़ने के लिए कहा. इतने कम समय में यूएन में यह प्रस्ताव पास हुआ और इसे मनाया गया. अब मोदी तो योगा लेकर नहीं आया. अगर आत्मविश्वास हो तो पूरा विश्व साथ चलता है. हमारा देश सांस्कृतिक धरोहर है. हमारे पूर्वजों ने बहुत कुछ किया है. हम कबतक उसका गुणगान करते रहेंगे. हमसे लोग सवाल पूछेंगे कि तु्म्हारे पूर्वजों ने तो किया पर तुमने क्या किया. हमें भी अपने कर्म से जवाब देना है. सिद्धी और प्रसिद्धी में फर्क होता है. प्रसिद्धी कुछ भी कहने से मिल सकती है लेकिन सिद्धी के लिए मेहनत करना पड़ता है.

असहिष्णुता

भारत में असहिष्णुता के मुद्दे पर चल रही बहस के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारतीयों से कहा कि वे ‘‘एकता एवं अखंडता” के मंत्र के साथ दुनिया में आगे बढें. अपनी दो दिवसीय सिंगापुर यात्रा संपन्न करने से पहले यहां भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए मोदी ने भारत में विकास के लिए किए जा रहे अपने प्रयासों और देश के गौरव को सहेजने में एकता एवं सद्भाव के महत्व का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार विकास पर जोर देते हुए भारतीयों के आत्मविश्वास को बढाने पर काम कर रही है जिससे ‘‘लोगों के आंसू पोछे जाएंगे, नौकरियां मिलेंगी, किसान समृद्ध होंगे, महिलाएं सशक्त होंगी और एकता एवं अखंडता के मंत्र के साथ वे दुनिया में आगे बढेंगे.” मोदी की ये टिप्पणियां अहम हैं क्योंकि ये ऐसे समय में की गई हैं जब उत्तर प्रदेश के दादरी में गोमांस खाने की अफवाह पर एक शख्स की पीट-पीटकर हुई हत्या के बाद से ही असहिष्णुता की घटनाओं पर विवाद जारी है. बॉलीवुड सुपरस्टार आमिर खान ने भी कल देश में ‘‘बढती असहिष्णुता” पर बयान दे दिया. उन्होंने कहा कि वह ऐसी कई घटनाओं से ‘‘डरे हुए” हैं और उनकी पत्नी किरण राव ने तो यहां तक सुझाव दे डाला कि दोनों को देश छोडकर चले जाना चाहिए

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