आंध्र, कर्नाटक और गोरा में शेषन ने कैसे चुनाव कराये?
-हरिवंश- पिछले महीने आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, सिक्किम और गोवा की विधानसभाओं के गठन के लिए चुनाव हुए. ये चुनाव स्वतंत्र भारत के इतिहास में अब तक के सबसे साफ-सुथरे चुनाव थे. इसका पूरा श्रेय मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन को है. उन्होंने जो कदम उठाये, उनमें से कुछ की झलक देखिये. प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव […]
-हरिवंश-
पिछले महीने आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, सिक्किम और गोवा की विधानसभाओं के गठन के लिए चुनाव हुए. ये चुनाव स्वतंत्र भारत के इतिहास में अब तक के सबसे साफ-सुथरे चुनाव थे. इसका पूरा श्रेय मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन को है. उन्होंने जो कदम उठाये, उनमें से कुछ की झलक देखिये.
प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने किसी भी चुनाव सभा में स्थानीय उम्मीदवारों का परिचय नहीं कराया. कारण चुनाव आयोग ने कहा था कि ऐसा करने से उस सभा का खर्च उम्मीदवार के खाते में जोड़ दिया जायेगा.कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस बंगारप्पा अफजलपुर में पांच मिनट ही भाषण कर सके. कारण चुनाव आयोग ने रात 10 बजे के बाद चुनाव प्रचार नहीं करने का आदेश दिया था.
हैदराबाद में समाज कल्याण मंत्री पी जनार्दन रेड्डी चुनाव सभी को संबोधित नहीं कर सके. कारण लाउडस्पीकर लगाने की पूर्वानुमति नहीं ली गयी थी.कर्नाटक के गुलबर्गा जिले में 20 मामले दर्ज किये गये. कारण प्रत्याशियों ने चुनाव खर्च का दैनिक ब्योरा नहीं दिया.
आंध्रप्रदेश के कुडप्पा जिले में एक उम्मीदवार को गिरफ्तार किया गया. कारण उसने चुनाव खर्च का ब्योरा नहीं दिया.बैंगलूर दूरदर्शन से उर्दू समाचार बुलेटिन के प्रसारण पर रोक लगी.भाजपा द्वारा हुबली घटना पर तैयार वीडियो फिल्म का प्रदर्शन नहीं हुआ.मतदान के छह दिन पहले से ही संपूर्ण मद्य निषेध लागू किया गया.
चार राज्यों में 150 पर्यवेक्षक तथा 336 लेखा परीक्षक नियुक्त किये गये थे.चुनाव खर्च की सीमा बढ़ायी गयी थी. आंध्रप्रदेश में इसे 50 हजार से बढ़ा कर डेढ़ लाख, कर्नाटक में 40 हजार से 1.35 लाख, गोवा में 10 हजार से 50 हजार तथा सिक्किम में पांच हजार से 10 हजार रुपये किया गया था. किसी भी उम्मीदवार को इस सीमा का उल्लंघन नहीं करने की चेतावनी दी गयी थी.
चारों राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिये गये थे कि अपराधियों की कोई भूमिका चुनावों में नहीं हो.सरकारी साधनों का दुरुपयोग किसी ने नहीं किया.सभी प्रत्याशियों ने फूल-मालाओं और नाश्ते का खर्च भी अपने खाते में जोड़ा. यहां तक कि दीवार लेखन तथा कार्यकर्ताओं के परिवहन पर आये खर्च भी खाते में जोड़े गये थे.
कर्नाटक में केंद्रीय रिजर्व पुलिस के 22 हजार जवान मतपेटियों की सुरक्षा के लिए प्रतिनियुक्त किये गये थे.चुनाव कार्यों के लिए सरकारी और सार्वजनिक भवनों के उपयोग को निषिद्ध कर दिया गया था.चुनाव खर्च पर निगरानी रखने के लिए नियुक्त आयकर उपायुक्त आर सुब्रमण्यम ने श्रीनिवासपुर और बागेपल्ली के बीच बैलगाड़ी पर सफर किया.
चुनाव आयोग के मुख्यालय में एक नियंत्रण कक्ष बनाया गया था. यह चौबीसों घंटे कार्यरत था, हरेक राज्य के लिए एक-एक अधिकारी वहां नियुक्त था. सभी शिकायतों की स्वतंत्र जांच होती थी और मुख्य चुनाव आयुक्त से सभी का सीधा संपर्क था.