मुरदा शहर के अकर्मण्य राजनेता
-हरिवंश- कांके डैम से रांची के छह लाख लोगों के लिए जलापूर्ति होती है. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की रांची शाखा क्षेत्रीय कार्यालय-सह प्रयोगशाला ने (तुपुदाना में स्थित) अगस्त 91 में कांके डैम के पानी की जांच कर एक रपट जिला प्रशासन को (सहायक जिलाधीश, कानून-व्यवस्था, रांची) दी. वह रपट जिला प्रशासन ने अति […]
-हरिवंश-
इन लोगों ने लगातार इस बुनियादी सवाल को उठाया. अंतत: इस लोक मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए प्रभात खबर ने (दिनांक 2.1.92) माननीय उच्च न्यायालय से मदद की फरियाद की. उल्लेखनीय है कि सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की (मामला संख्या 28/92 (आर). उक्त पत्र को लोक याचिका के रूप में स्वीकृत किया. पटना में ही उच्च न्यायालय में इसकी सुनवाई हुई (देखें प्रभात खबर 16 जनवरी, 17 जनवरी 92). न्यायालय के अनुसार 30 जनवरी तक कांके डैम से पेयजल की जांच कर रिपोर्ट न्यायालय को दी जानेवाली है.
आज समाज, प्रशासन जिस स्थिति में पहुंच गये हैं, वहां कोई चमत्कार की अपेक्षा करना गलत है. प्रशासन अगर लापरवाही के कारण भयंकर चूक करता है, तो लोक जागरण के माध्यम से उसे सही तौर-तरीके से काम करने के लिए कहा जा सकता है. लोक जागरण का यह काम राजनीतिक दल और प्रबुद्ध लोग करते हैं. प्राय: सभी राजनीतिक दलों की स्थिति यह है कि दलगत हित या निजी लाभ के लिए ही वे मुद्दे उठाते हैं.
मुद्दा उठाने का भी उनके पास एक घटिया और घिसा औजार है, बंद, गाली-गलौज, अमर्यादित आचरण और धरना-प्रदर्शन. यह आयोजित करनेवालों को यह नहीं मालूम कि इन औजारों के प्रति लोगों में घोर अनास्था पैदा हो गयी है. इस कारण सही मुद्दे के लिए भी अगर ये हथियार आजमाये जाते हैं, तो लोग इसे पाखंड और धूर्तता कहते हैं. गौर करने की बात है कि भाजपा ने गायत्री देवी की हत्या के खिलाफ बंद के लिए एक सात्विक-साहसिक प्रयास किया, पर उस जुलूस में उपलब्ध तथ्यों के अनुसार हत्यारे भी शामिल थे. यह दोषारोपण का नहीं, आत्मनिरीक्षण का मामला है. कोई दूध का धुला नहीं है.