राडिया टैप मामला : न्यायालय ने केंद्र व सीबीआई से मांगा जवाब
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज केंद्र और सीबीआई से उस अपील पर जवाब मांगा जिसमें सरकार को गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) के निष्कर्षों पर कार्रवाई करने का आदेश देने की मांग की गयी है. एसएफआईओ ने नीरा राडिया के टेप प्रकरण की जांच के बाद कुछ कारोबारी लेन-देन में गंभीर अनियमितताएं पायी […]
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज केंद्र और सीबीआई से उस अपील पर जवाब मांगा जिसमें सरकार को गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) के निष्कर्षों पर कार्रवाई करने का आदेश देने की मांग की गयी है.
एसएफआईओ ने नीरा राडिया के टेप प्रकरण की जांच के बाद कुछ कारोबारी लेन-देन में गंभीर अनियमितताएं पायी हैं.न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा की पीठ ने टाटा समूह के पूर्व प्रमुख रतन टाटा से भी एक सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.
टाटा ने राडिया के टैप्स की बातचीत सार्वजनिक न करने के लिए अपील दायर की थी.आदेश जारी करने के बाद मामला राडिया की बातचीत के टेप से जुड़े अन्य मामलों की सुनवाई के लिए 2 दिसंबर तक स्थगित कर दिया गया. इस पर ओपेन मैगजीन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सुनवाई स्थगित किए जाने को लेकर कड़ी आपत्ति जतायी.
धवन ने कहा कि न्यायालय को आज ही सुनवाई करनी चाहिए और टाटा की याचिका के खिलाफ पत्रिका की ओर से उन्हें दलील देने की अनुमति दी जानी चाहिए. लेकिन न्यायालय ने उनका यह अनुरोध ठुकरा दिया.
इससे उद्वेलित धवन ने कहा यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं ऐसे समय में यह नहीं करना चाहता जब न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो रहे हैं लेकिन मुझे कहना पड़ रहा है कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने आगे कहा आप मुझे अपील पर जवाब देने का मौका नहीं दे रहे हैं. यह अत्यंत मनमाना है. धवन की तर्कों पर आपत्ति जताते हुए न्यायमूर्ति सिंघवी ने खुद को मामले से अलग कर लिया और कहा कि मामले को अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाये.
गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने अपनी अर्जी में जांच अधिकारी द्वारा एसएफआईओ के निदेशक को लिखे गए कथित पत्र का संदर्भ दिया है. साथ ही कहा गया है कि कथित गंभीर कारपोरेट जालसाजी कि जो मामले सामने आये हैं उनकी जांच की जरूरत है.
अनुरोध में यह भी कहा गया है कि शुरु में कंपनियों के पंजीयक (रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज-आरओसी) ने जांच की थी जिसकी रिपोर्ट के आधार पर कारपोरेट मामलों के मंत्रालय ने एसएफआईओ को जांच के आदेश दिये थे.
इसमें कहा गया है इन सभी की व्यापक जांच की गयी और कई माह पहले भारत सरकार से शीर्ष कारपोरेटों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी. गैर सरकारी संगठन का आरोप था कि ये मामले उच्चतम न्यायालय द्वारा तय उन मुद्दों से अलग हैं जिनकी सीबीआई जांच के आदेश दिये गये हैं.
आवेदन में कहा गया है इस तरह यह स्पष्ट है कि नीरा राडिया के टेलीफोन टैप करने से सामने आये तथ्यों की जांच को प्रभावित करने का प्रयास हो रहा है ताकि शीर्ष कारपोरेट समूहों को बचाया जा सके.