राजा ने 2जी पर प्रधानमंत्री,वित्त मंत्रालय के आग्रह को नजरअंदाज किया

नयी दिल्ली : 2जी घोटाले की जांच कर रहे मुख्य जांच अधिकारी ने दिल्ली की एक अदालत में आज दावा किया कि पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने मूल्य निर्धारण मुद्दे पर स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस का आबंटन रोकने के प्रधानमंत्री व वित्त मंत्रालय के आग्रह को नजरअंदाज किया था.सीबीआई के पुलिस अधीक्षक विवेक प्रियदर्शी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2013 8:38 PM

नयी दिल्ली : 2जी घोटाले की जांच कर रहे मुख्य जांच अधिकारी ने दिल्ली की एक अदालत में आज दावा किया कि पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने मूल्य निर्धारण मुद्दे पर स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस का आबंटन रोकने के प्रधानमंत्री व वित्त मंत्रालय के आग्रह को नजरअंदाज किया था.सीबीआई के पुलिस अधीक्षक विवेक प्रियदर्शी ने अदालत को बताया कि दूरसंचार विभाग और वित्त मंत्रालय के रिकार्ड के मुताबिक, 10 जनवरी, 2008 से पहले दूरसंचार मुद्दे पर प्रधानमंत्री, राजा, तत्कालीन वित्त मंत्री और तत्कालीन विदेश मंत्री के बीच कोई बैठक नहीं हुई थी.

प्रियदर्शी ने कहा, ‘‘ जांच के दौरान इन मुद्दों से संबंधित दूरसंचार विभाग एवं वित्त मंत्रालय के रिकार्ड जब्त किए गए थे जिसमें 10 जनवरी, 2008 से पहले उक्त मंत्रियों के बीच किसी भी बैठक का जिक्र नहीं है.’’ ए. राजा के निर्देश पर दूरसंचार विभाग ने 10 जनवरी, 2008 को ही नए आवेदकों को आशय पत्र(एलओआई) जारी किए थे. प्रियदर्शी ने विशेष सीबीआई जज ओपी सैनी को बताया, ‘‘ वित्त मंत्रालय के रिकार्ड से पता चलता है कि मंत्रालय ने दूरसंचार विभाग को लाइसेंसों व स्पेक्ट्रम का आगे आबंटन रोकने का आग्रह किया था. इसी तरह के अनुरोध प्रधानमंत्री द्वारा भी किए गए थे.’’ राजा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार द्वारा जिरह के दौरान प्रियदर्शी ने कहा कि वित्त मंत्रालय के रिकार्ड के मुताबिक, 10 जनवरी, 2008 तक मूल्य निर्धारण का मुद्दा ‘अनसुलझा’ रहा था.

उन्होंने कहा, ‘‘ 10 जनवरी, 2008 के बाद संचार एवं आईटी मंत्री, वित्त मंत्री और पीएमओ के बीच हुई बैठकों में केवल लंबित मुद्दों को हल करने के बारे में बातचीत हुई.’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि दूरसंचार विभाग ने स्पष्ट किया था कि आवेदकों को आशय पत्र पहले ही जारी किए जा चुके थे और विभाग उसमें दी गई शर्तों को पूरा करने के लिए बाध्य था.

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