मनी लॉन्ड्रिंग मामला : ईडी ने वीरभद्र सिंह को सम्मन भेजा

नयी दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को उनके तथा उनके सहयोगियों के खिलाफ धन शोधन के कथित मामले की जांच के संबंध में सम्मन भेजा है. सूत्रों ने बताया कि धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत जारी सम्मन में सिंह से कहा गया है कि वह दिसंबर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 27, 2015 4:21 PM

नयी दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को उनके तथा उनके सहयोगियों के खिलाफ धन शोधन के कथित मामले की जांच के संबंध में सम्मन भेजा है. सूत्रों ने बताया कि धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत जारी सम्मन में सिंह से कहा गया है कि वह दिसंबर के पहले सप्ताह में व्यक्तिगत रुप से पेश हों.

उन्होंने कहा कि सम्मन में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि मुख्यमंत्री किसी कारण से पेश होने में सक्षम नहीं होते हैं तो उनकी तरफ से कोई अधिकृत या कानूनी प्रतिनिधि भी व्यक्तिगत वित्त से संबंधित दस्तावेज और अन्य ब्योरा जमा कर सकता है. एजेंसी ने कहा कि जब सिंह जांचकर्ताओं के समक्ष पेश होंगे तो वे उनका बयान दर्ज करेंगे.उन्होंने कहा कि इसी तरह के सम्मन उनके कुछ सहयोगियों को भी भेजे गए हैं. इस संबंध में सीबीआई द्वारा सितंबर में दर्ज शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद ईडी ने धन शोधन कानूनों के आपराधिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है.

एजेंसी के सूत्रों ने कहा था कि कथित अवैध धन का इस्तेमाल कर सिंह और उनके सहयोगियों द्वारा कथित तौर पर की गई संदिग्ध ‘‘अपराध की कमाई” की जांच और इसका पता लगाने के लिए उन्होंने कुछ ‘‘महत्वपूर्ण” दस्तावेज जुटाए हैं. ईडी की टीमों ने इस मामले में पिछले हफ्ते दिल्ली, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में छापेमारी भी की थी.

एजेंसी इस आरोप की जांच पर काम कर रही है कि सिंह के केंद्रीय इस्पात मंत्री रहने के दौरान 2009 से 2011 के बीच उन्होंने और उनके परिवार के सदस्यों ने कथित तौर पर 6.1 करोड़ रुपये की संपत्ति जुटाई जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक है. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी में सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, एलआईसी एजेंट आनंद चौहान और चौहान के भाई सीएल चौहान का नाम शामिल है और उन पर भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत आरोप लगाए गए हैं.

सीबीआई को संदेह है कि 2009…11 की अवधि के दौरान सिंह ने जीवन बीमा पॉलिसीज में एलआईसी एजेंट चौहान के जरिए अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम से कथित तौर पर 6.1 करोड़ रुपये का निवेश किया और दावा किया कि यह धन कृषि से हुई उनकी आय है.

इसने आरोप लगाया कि सिंह ने 2012 में संशोधित आयकर रिटर्न दाखिल कर इस पैसे को कृषि आय के रुप में वैध साबित करने का प्रयास किया. सीबीआई ने आरोप लगाया था, ‘‘अपने संशोधित आयकर रिटर्न में उनके द्वारा बताई गई कृषि आय तर्कसंगत नहीं पाई गई. तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ने कथित तौर पर आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक अन्य संपत्तियां एकत्र की थीं.” इसने प्राथमिकी दर्ज करने के तत्काल बाद सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के विभिन्न प्रतिष्ठानों पर छापे मारे थे. कांग्रेस पार्टी ने तब इस कार्रवाई को बदले की कार्रवाई बताया था. एजेंसी ने दिल्ली में मामला दर्ज किया है.

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