रक्षा खरीद की अवधि तीन साल करने पर विचार : मनोहर पर्रिकर
नयी दिल्ली : रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि सरकार रक्षा उपकरणों की खरीद प्रक्रिया के लिए अनुबंध प्रक्रिया की अवधि घटाकर तीन साल करने पर विचार कर रही है. इस अवधि का वर्तमान औसत करीब पांच साल है. उन्होंने कहा कि सरकार देश के पूरे कारोबार जगत और खासकर एमएसएमईएस (सूक्ष्म लघु एवं […]
नयी दिल्ली : रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि सरकार रक्षा उपकरणों की खरीद प्रक्रिया के लिए अनुबंध प्रक्रिया की अवधि घटाकर तीन साल करने पर विचार कर रही है. इस अवधि का वर्तमान औसत करीब पांच साल है.
उन्होंने कहा कि सरकार देश के पूरे कारोबार जगत और खासकर एमएसएमईएस (सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यमों) के लिए अच्छे अवसरों के लिए रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी)- 2015 पर एक ‘‘समग्र एवं संपूर्ण दस्तावेज लाएगी.” यहां पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्टरी के 110वें सत्र में ‘सेल्फ रिलायंस इन डिफेंस प्रोडक्शन- द गेम चेंजर’ पर सत्र को संबोधित करते हुए पर्रिकर रक्षा खरीद प्रक्रिया में अपने द्वारा लाए जा रहे बदलावों पर बोले.
जब दर्शकों में बैठे एक सदस्य ने कहा कि निविदा से लेकर सौदा बंद होने तक खरीद प्रक्रिया की अवधि औसतन पांच साल है, मंत्री ने कहा कि वह लंबे विलंब से अवगत हैं. ‘‘हमारा प्रयास एक पारदर्शी प्रक्रिया के साथ इसे तीन साल तक करने का है.” रक्षा खरीद प्रक्रिया पर पर्रिकर ने कहा कि वह एक ‘‘संपूर्ण” दस्तावेज लाने की कोशिश कर रहे हैं, यद्यपि इस तरह की परिपूर्णता प्राप्त करना कठिन है. उन्होंने इस अवसर पर मौजूद उद्यम जगत के सदस्यों से आग्रह किया कि उन्हें रक्षा खरीद प्रक्रिया का आलोचक होना चाहिए जिससे कि उनकी वस्तुनिष्ठ आलोचना सरकार को रक्षा खरीद प्रक्रिया 2015 को सरल प्रक्रियाओं का एक दस्तावेज बनाने में सफल बना सके, जो भारत को रक्षा उत्पादन में भी आत्मनिर्भर बनाएगा.
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के पास अगले 20 साल का विजन है और उसे कार्यान्वित किया जा रहा है, यद्यपि इसमें कुछ समय लग रहा है. रक्षामंत्री ने कहा, ‘‘आखिरकार नीतियां और प्रक्रियाएं सार्वजनिक होंगी जो रक्षा उत्पादन एवं खरीद की श्रृंखला के प्रत्येक साझेदार को संतुष्ट करेंगी.” पर्रिकर ने बेंगलूर के एक कॉलेज में राहुल गांधी के विवादास्पद संबोधन को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष पर हमला बोला.राहुल का नाम लिए बिना पर्रिकर ने कहा कि राजनीतिक नेताओं को सार्वजनिक रुप से बोलने पर कुछ किताबें पढनी चाहिए.