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संसदीय समिति ने लोकपाल पर मसौदा रिपोर्ट को दिया अंतिम रूप

नयी दिल्ली : भ्रष्टाचार विरोधी प्रहरी लोकपाल से संबंधित विधेयक पर करीब एक साल से विचार कर रही संसदीय समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट तैयार कर ली है और इसका अंतिम संस्करण अगले महीने राज्यसभा को सौंपा जाएगा. कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय संबंधी स्थायी संसदीय समिति लोकपाल और लोकायुक्त तथा अन्य संबंधित कानून […]

नयी दिल्ली : भ्रष्टाचार विरोधी प्रहरी लोकपाल से संबंधित विधेयक पर करीब एक साल से विचार कर रही संसदीय समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट तैयार कर ली है और इसका अंतिम संस्करण अगले महीने राज्यसभा को सौंपा जाएगा. कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय संबंधी स्थायी संसदीय समिति लोकपाल और लोकायुक्त तथा अन्य संबंधित कानून (संशोधन) विधेयक, 2014 पर विचार कर रही है. कांग्रेस सांसद ईएमएस नचियप्पन इस 31 सदस्यीय समिति के अध्यक्ष हैं. नचियप्पन ने बताया, ‘मसौदा रिपोर्ट तैयार है और इसे समिति के सभी सदस्यों के बीच वितरित किया जाएगा. उनके विचारों पर गौर करने के बाद अंतिम रिपोर्ट 10 दिसंबर के पहले राज्यसभा को सौंप दी जाएगी.’

उन्होंने कहा कि समिति ने विधेयक के विभिन्न प्रावधानों के संबंध में विभिन्न पक्षों की राय पर व्यापक रूप से विचार विमर्श किया. इनमें बडी संख्या में लोकसेवक भी शामिल थे. संशोधन विधेयक पिछले साल 18 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद उसे 22 दिसंबर को समिति को भेज दिया गया था तथा उसे इस साल 25 मार्च तक रिपोर्ट देने को कहा गया था. समिति को अपना कार्य पूरा करने के लिए पहला विस्तार देते हुए 30 जुलाई तक का समय दिया गया. बाद में और समय दिये जाने की मांग पर दो विस्तार दिये गये जो क्रमश: 30 सितंबर और 15 नवंबर को समाप्त हो गये.

समिति राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. लोकपाल कानून 2013 में लोकसेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों पर गौर करने के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त के गठन का प्रावधान किया गया है. कानून के संशोधनों में से एक यह है कि लोकपाल के सदस्यों और अध्यक्ष पद पर नियुक्ति से संबंधित चयन समिति में लोकसभा में सबसे बडे विपक्षी दल के नेता को शामिल किया जाए, अगर विपक्ष के नेता का पद खाली हो. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली लोकपाल चयन समिति के सदस्यों में लोकसभाध्यक्ष, निचले सदन में विपक्ष के नेता, देश के प्रधान न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश, राष्ट्रपति द्वारा नामित एक प्रख्यात न्यायविद या कोई अन्य सदस्य शामिल हैं.

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