जनलोकपाल को लेकर प्रशांत भूषण ने दी केजरीवाल को चुनौती
नयी दिल्ली : दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के 2015 के जनलोकपाल विधेयक को ‘‘महाजोकपाल’ करार देने के बाद पार्टी के पूर्व नेता प्रशांत भूषण ने आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जनलोकपाल विधेयक के मु्द्दे पर सार्वजनिक बहस की चुनौती दी. इस बीच, प्रशांत ने चेतावनी दी कि कल यदि प्रस्तावित विधेयक पेश किया […]
नयी दिल्ली : दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के 2015 के जनलोकपाल विधेयक को ‘‘महाजोकपाल’ करार देने के बाद पार्टी के पूर्व नेता प्रशांत भूषण ने आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जनलोकपाल विधेयक के मु्द्दे पर सार्वजनिक बहस की चुनौती दी. इस बीच, प्रशांत ने चेतावनी दी कि कल यदि प्रस्तावित विधेयक पेश किया गया तो दिल्ली विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया जाएगा.
प्रशांत ने कहा कि स्वराज अभियान के बैनर तले प्रदर्शन किया जाएगा. ‘आप’ से निकाले जाने के बाद प्रशांत और योगेंद्र यादव ने स्वराज अभियान नाम के ‘‘गैर-राजनीतिक’ मंच की स्थापना की थी. प्रशांत की चुनौती पर ‘आप’ की ओर से फिलहाल बयान नहीं आया, लेकिन पार्टी ने जनलोकपाल विधेयक को लेकर उनकी ओर से किए गए दावों को खारिज कर दिया और कहा कि वह ये भाजपा के इशारे पर कर रहे हैं. उन्होंनेे कहा, ‘‘मेरा इतिहास ही ऐसा है कि ऐसे आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया की जरुरत नहीं होती.’ विधेयक को आड़े हाथ लेते हुए प्रशांत ने कहा, ‘‘हम यह देखकर चौंक गए कि मौजूदा विधेयक हर उस सिद्धांत के खिलाफ है जिसके आधार पर भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने जनलोकपाल की संस्था की लडाई लड़ी थी.
यह एक लोकपाल का प्रस्ताव करता है जिसे पूरी तरह सरकार नियंत्रित करेगी.’ ‘आप’ दावा कर रही है कि मौजूदा विधेयक अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान तैयार किए गए मसौदे और 2014 के उस विधेयक की तरह है जिसे दिल्ली विधानसभा में पेश करने की कोशिश की गई थी. प्रशांत ने कहा, ‘‘केजरीवाल को आकर सार्वजनिक तौर पर इस पर बहस करनी चाहिए. इससे देश के लोगों और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के साथ किए जा रहे धोखे की पोल खुल जाएगी. यदि आपने जनलोकपाल विधेयक 2014 या उत्तराखंड के विधेयक की वाकई नकल की है तो आपको इसमें वक्त क्यों लगा ?’ उन्होंने कहा, ‘‘फिर अरविंद ये ट्वीट क्यों करते रहे कि वह विधेयक का मसौदा तैयार कर रहे हैं?’
पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री एवं प्रशांत के पिता शांति भूषण ने भी केजरीवाल पर निशाना साधा और उनकी तुलना हिटलर के शासनकाल में कुख्यात प्रचार मंत्री रहे जोसेफ गेबल्स से कर दी. शांति भूषण ने कहा, ‘‘गेबल्स दिल्ली का मुख्यमंत्री है. उन्होंने कहा था कि वह विधायकों की तनख्वाह आधी कर देंगे लेकिन विधायकों की तनख्वाहढ़ाई गुना बढ़ा दी गई है.’ उन्होंने कहा कि ‘आप’ का रवैया दिखाता है कि वह भी भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों की तरह आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करने लगी है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ ‘आप’ की रणनीति भी ऐसी ही हो गई है.’ उन्होंने कहा, ‘केंद्र में एक मजबूत और ज्यादा पारदर्शी लोकपाल के लिए और उसकी तत्काल नियुक्ति के लिए मैं पहले ही उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी दाखिल कर चुका हूं. वे क्या कह रहे हैं ?’ बहरहाल, सामाजिक कार्यकर्ता-वकील के तौर पर प्रशांत ने कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर टीवी पर हुई एक बहस के दौरान ‘आप’ के प्रवक्ता राघव चड्ढा के खिलाफ तीखे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था.
उन्होंने कहा, ‘‘जब कोई ऐसे आरोप लगाता है और सफेद झूठ बोलता है तो आप स्वाभाविक तौर पर गुस्सा होते हैं. कभी-कभी आक्रोश बाहर निकल आता है लेकिन फिर भी मैं समझता हूं कि ऐसे आक्रोश ठीक नहीं होेते. आप गुस्से में कुछ बातें कह जाते हैं लेकिन हालात को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.’ प्रशांत और शांति भूषण के आरोपों पर ‘आप’ के प्रवक्ता आशुतोष ने सवाल किया कि वे और योगेंद्र यादव ने केंद्र में लोकपाल की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध क्यों नहीं किया. आशुतोष ने ट्वीट किया, ‘‘ ‘आप’ लोकपाल लेकर आई तो प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव और शांति भूषण ने विरोध करने का फैसला किया ? क्यों ? दोहरा मानदंड ? क्या आपको उनकी और भाजपा की मिलीभगत का और सबूत चाहिए ? मोदी ने पिछले 18 महीनों से लोकपाल की नियुक्ति नहीं की है, लेकिन प्रशांत, योगेंद्र, शांति ने अब तक इसकी आलोचना नहीं की है. क्यों ?