महात्मा गांधी को मिले 8,500 खत होंगे प्रकाशित

अहमदाबाद : अपने समय की महान हस्तियों के साथ महात्मा गांधी के विचारों के आदान-प्रदान के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्रदान करने के प्रयास के तहत यहां स्थित साबरमती आश्रम ने गांधी जी को मिले 8,500 खतों को टाइप करने और उन्हें प्रकाशित करने का बडा काम अपने हाथ में लिया है. हालांकि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 30, 2015 12:28 PM

अहमदाबाद : अपने समय की महान हस्तियों के साथ महात्मा गांधी के विचारों के आदान-प्रदान के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्रदान करने के प्रयास के तहत यहां स्थित साबरमती आश्रम ने गांधी जी को मिले 8,500 खतों को टाइप करने और उन्हें प्रकाशित करने का बडा काम अपने हाथ में लिया है. हालांकि क्लेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी (सीडब्ल्यूएमजी) के पास गांधी द्वारा उनके जीवनकाल में लिखे गये 31,000 से अधिक खतों का दस्तावेजीकरण है लेकिन जिन खतों के जवाब में ये खत लिखे गये थे, उनका दस्तावेजीकरण अभी तक नहीं हुआ है. साबरमती आश्रम संरक्षण एवं स्मृति न्यास के निदेशक त्रिदिप शारुद ने बताया, ‘शोधकर्ता और विद्वान लंबे समय से गांधीजी को मिले खतों और अन्य स्वरुपों में मिले संवाद को टाइप करने और प्रकाशित करने की आवश्यकता महसूस कर रहे थे ताकि उनके द्वारा दिये जबावों को अच्छे तरीके से समझा जा सके. या फिर यह समझा जा सके कि क्या यह एक पक्षीय संचार है.’

गांधीजी को मिले खतों के प्रकाशन के जरिए गांधीजी और उस समय के महान हस्तियों रोमां रोलां, रवीन्द्रनाथ टैगोर, जवाहरलाल नेहरु, सरोजिनी नायडू, मेडेलीन स्लेड (मीराबेन) और एस्थर फाइरिंग के बीच हुई बातचीत को सामने लाएगा और इस तरह महान ऐतिहासिक मूल्य के दस्तावेजों का सृजन होगा. शारुद ने बताया, ‘सीडब्ल्यूएमजी ने 38 से अधिक वर्षों के दौरान बडी मेहनत से गांधीजी के भाषणों, संपादकीय और अन्य लेखनों को संग्रहित करके 100 संस्करणों वाला इलेक्ट्रानिक दस्तावेज तैयार किया है जिसमें 31,000 से अधिक खत, टेलीग्राम और केबल हैं जो गांधीजी ने दूसरों के लिए लिखे थे.’

उन्होंने बताया, ‘सीडब्ल्यूएमजी का संपादकीय प्रारुप गांधीजी को मिले और उनके द्वारा जबाव में लिखे गये खतों या संवाद के अन्य स्वरुपों के समावेश की अनुमति नहीं देता है.’ शारुद ने बताया, ‘साबरमती आश्रम के अपने अभिलेखागार में गांधीजी को मिले 8,500 से अधिक खत और संवाद के अन्य प्रारुप रखे हैं. ये पत्र मुख्य रूप से अंग्रेजी, गुजराती और हिन्दी में हैं.’

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