मुंबई : बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा का कहना है कि वह अदालत के आदेश का सम्मान करते हैं लेकिन वह शिकायतकर्ता के बर्ताव को ‘सामान्य’ नहीं मानते हैं और मामले में उसके ‘वित्तपोषण’ पर उन्हें संदेह है. उच्चतम न्यायालय ने गोविंदा को कल सलाह दी थी कि वह शिकायतकर्ता संतोष राय से माफी मांगें. राय ने एक शिकायत दर्ज कराकर अभिनेता पर आरोप लगाया था कि सात साल पहले उन्होंने उन्हें थप्पड मारा और डराया-धमकाया.
51 वर्षीय मुंबई के पूर्व सांसद ने कहा कि वह मामले में कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह एक ‘तकनीकी मुद्दा’ है और फैसले की प्रति मिलने के बाद ही माफी मांगने पर फैसला करेंगे.यह वाकया तब हुआ था जब शिकायतकर्ता 16 जनवरी 2008 को यहां अभिनेता के फिल्म सेट पर गया था. गोविंदा ने दावा किया है कि प्रशंसक ने अवैध तरीके से वहां प्रवेश किया.
अभिनेता ने कहा, ‘मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करता हूं, जो सर्वोच्च आदेश है. मुझे अब तक अदालत का पत्र नहीं मिला है. इसलिए, मैं उसपर टिप्पणी नहीं कर सकता हूं. यह एक तकनीकी मुद्दा है और मैं इसपर टिप्पणी करने से बचूंगा जब तक कि पत्र नहीं मिल जाता. एकबार पत्र मिल जाने पर मैं आपको जानकारी दूंगा कि मैं इस बारे में कैसा महसूस करता हूं.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह महसूस करते हैं कि शिकायतकर्ता को कोई राजनैतिक समर्थन हासिल है तो गोविंदा ने कहा, ‘यह विचारणीय है…एक व्यक्ति जिसका यहां परिवार नहीं है, जिसका कोई यहां नहीं है. उसे इतना समर्थन मिला और वह अवैध तरीके से यहां पहुंचा. इस बारे में सोचना चाहिए…कौन इसके लिए वित्त पोषण कर रहा है… इसके बिना यह कैसे संभव है. इतने वर्ष. यह सामान्य नहीं लगता है. कोई भी प्रशंसक इस तरीके से बर्ताव नहीं कर सकता है. यह निश्चित है. प्रशंसक कलाकारों को पसंद करते हैं, वो आउट ऑफ द वे भी जाते हैं लेकिन वे ऐसा नहीं करते.’
न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अभिनेता से शिकायतकर्ता के साथ विवाद को सुलझाने का सुझाव दिया था. पीठ ने कहा था, ‘आप बडे हीरो हैं, आप अपना बडा दिल दिखाएं.’ ‘पार्टनर’ स्टार ने कहा कि ‘बडे दिलवाला’ नहीं होने का कोई मुद्दा ही नहीं है और इस बात का सबूत मांगा कि वह व्यक्ति वास्तव में प्रशंसक था.
उन्होंने कहा, ‘अहं की कोई समस्या ही नहीं है. इन वर्षों में मैंने उसके साथ क्या किया है. क्या मैंने मानहानि का मामला दायर किया. या किसी अन्य मामले के साथ उसे धमकी दी. बडे दिलवाला नहीं होने का कोई मुद्दा नहीं है. मुझे इस बात का सबूत दें कि वह असली प्रशंसक है, वह अच्छा आदमी है. मैं उसे चोट पहुंचाने नहीं गया. मैं उसे जानता भी नहीं हूं.’
बंबई उच्च न्यायालय ने 2013 में महानगर की एक मेट्रोपोलिटन अदालत के समक्ष राय की ओर से दायर एक निजी शिकायत को निरस्त कर दिया था. इसके बाद राय ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. शीर्ष अदालत ने राय की अपील पर अगली सुनवाई की तारीख नौ फरवरी को निर्धारित की है.